इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Research On Corona In Kanpur IIT: लगभग पिछले तीन सालों से कोरोना ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। हर छह माह में कोरोना संक्रमण के नए-नए वेरिएंट मिलते रहते हैं। वहीं कोरोना महामारी को लेकर कानपुर आईआईटी ने एक स्ट्डी की है। इसमें पता चला है कि कोरोना की चौथी लहर भी आ सकती है।
स्टडी मुताबिक कोरोना की चौथी लहर जून 2022 से शुरू हो सकती है, और अगस्त तक यह अपने पूरे पीक पर पहुंच सकती है। बता दें कि इससे पहले भी कानपुर आईआईटी का कोरोना महामारी को लेकर दूसरी व तीसरी लहर को लगाया गया अनुमान भी सही साबित हुआ था। आइए जानते है कोरोना की चौथी लहर को लेकर किस आधार पर हुई स्टडी।
किस आधार पर की गई स्टडी? ( Research On Corona In Kanpur IIT)
- बता दें कि चौथी लहर को लेकर जो आईआईटी कानपुर के रिसर्च ने इसके लिए ”बूटस्ट्रैप” और गाउसीय डिस्ट्रिब्यूशन जैसी स्टैटिस्टिकल मेथेड का इस्तेमाल किया। स्टडी में चौथी लहर के पीक के टाइम पॉइंट के बीच कॉन्फिडेंस इंटरवल की कैलकुलेशन की गई। कॉन्फिडेंस इंटरवल स्टैटिस्टिक्स में इस्तेमाल होने वाला एक मैथड है, जिसके जरिए सैंपलिंग मैथड में अनिश्चितता या निश्चितता की डिग्री को मापा जाता है।
- स्ट्डी का कहना है कि इस मैथड का इस्तेमाल करके न केवल चौथी लहर बल्कि अन्य देशों में आने वाली लहरों की भी भविष्यवाणी की जा सकती है। स्टडी अनुसार, भारत समेत कई देशों में तीसरी लहर आ चुकी है। वहीं साउथ अफ्रीका और जिम्बाब्वे जैसे देशों में चौथी लहर भी आ चुकी है।
- रिसर्च ने देश में तीसरी लहर की भविष्यवाणी के लिए जिम्बाब्वे के डेटा का ्रप्रयोग किया था, जो सही साबित हुआ। इससे प्रेरित होकर उन्होंने चौथी लहर को लेकर काम करना शुरू किया। चौथी लहर के लिए भी रिसर्च ने जिम्बाब्वे के डेटा का ही सहारा लिया है। जिम्बाब्वे और साउथ अफ्रीका जैसे अफ्रीकी देशों से ही कोरोना के वेरिएंट ओमिक्रॉन की शुरूआत हुई थी, जहां से निकलकर ये भारत समेत दुनिया के कई देशों में तीसरी लहर की वजह बना।
चौथी लहर आने की कितनी आशंका?
- ये साइंटिफिक स्टडी है, जो जिम्बाब्वे जैसे उस देश के डेटा के आधार पर हुई है, जहां कोरोना की चौथी लहर आ चुकी है। इसी के आधार पर भारत के लिए एक स्टैटिस्टिकल मॉडल पर काम करते हुए एक अनुमान लगाया जा रहा है कि अगर चौथी लहर आई तो वो कब तक आ सकती है। वहीं चौथी लहर को लेकर कुछ महामारी विशेषज्ञों का कहना है कि स्टडी अनुमान पर ज्यादा आधारित है और इसे लेकर वैज्ञानिक आधार स्पष्ट नहीं है। अभी चौथी लहर का अनुमान लगा पाना मुश्किल है।
- आईआईटी कानपुर अनुसार, चौथी लहर को लेकर की गई स्टडी जिम्बाब्वे के डेटा के आधार पर लगाए गए अनुमान पर आधारित है। ये कितनी सच होगी कहना मुश्किल है। इसे बहुत गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए।
कोरोना के कितने केस मिल सकते हैं?
स्टडी अनुसार अभी ये अनुमान लगा पाना मुश्किल है। अब टेस्टिंग रणनीति बदल गई है और एसिम्प्टोमेटिक लोगों की टेस्टिंग नहीं हो रही है। केसेज की संख्या उस समय के वैरिएंट की गंभीरता पर निर्भर करेगी। चौथी लहर में कितने केसेज आएंगे और मौतें होंगी, यह बताना अभी मुश्किल होगा।
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कौन सा वेरिएंट चौथी लहर में होगा डॉमिनेंट?
चौथी लहर में कौन सा वेरिएंट डॉमिनेंट होगा। इसका अनुमान लगा पाना मुश्किल है। यह वायरस के म्यूटेशन पर निर्भर करेगा, लेकिन ग्रीक अल्फाबेट के अनुसार कोरोना के अगले वैरिएंट का नाम पाई होगा।
क्या बूस्टर डोज जरूरी है?
भले ही समय बीतने के साथ वैक्सीन की इम्यूनिटी कमजोर हो जाए, लेकिन सेलुलर इम्यूनिटी खत्म नहीं होती है। यही इंसान को कोरोना वेरिएंट से बचाती है। बूस्टर डोज को लेकर अभी और स्टडी की जरूरत है। केवल 60+ लोगों को बूस्टर डोज की जरूरत है। बूस्टर डोज को लेकर अभी स्टडी जारी है और उसके निष्कर्ष आने के बाद ही इसके इस्तेमाल पर फैसला हो सकता है।
Research On Corona In Kanpur IIT
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