इंडिया न्यूज, श्रीनगर:
Kashmiri Woman Scientist Message On Woman Day इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड-पावर (SERB-POWER) फेलोशिप 2022 पाने वाली पहली कश्मीरी महिला साइंटिस्ट Dr. Nashiman Ashraf ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिलाओं के लिए एक प्रेरणादायी संदेश दिया है। उन्होंने कहा है कि जीवन में कभी किसी मुकाम को हासिल करने के लिए महिलाएं हार न मानें। डॉ. नशीमन ने कहा, अपने मुकाम पर पहुंचने के लिए चीजें मुश्किल हो सकती हैं, लेकिन यह नामुमकिन नहीं हो सकतीं। उनहोंने कहा कि हर महिला को बड़ी से बड़ी समस्याया का डटकर मुकाबला करना चाहिए। महिलाएं समस्या के प्रत्येक बिंदू को अपने आप या किसी के सहयोग से अच्छी तरह से तलाशें और उस तक पहुंचने में कभी पीछे न हटें।
समाज की बनाई सीमाओं से बाहर निकलकर साइंस की दुनिया में अपनी पहचान बनाने वाली डॉ. नशीमन का कहना है कि महिलाओं को खुद पर भरोसा करके अपनी सीमाओं से बाहर निकलने की आज आवश्यकता है। डॉ. नशीमन की SERB-POWER फेलोशिप उपलब्धि से पुरुष-प्रधान साइंस,इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी और मैथमेटिक्स क्षेत्र में भारतीय महिला रिसर्चर्स को पहचान दिलाने की पहल हुई है।
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डॉ. नशीमन को सीएसआईआर रमन रिसर्च फेलोशिप भी मिली चुकी है। इसके तहत वह अमेरिका की केंटकी यूनिवर्सिटी में बतौर विजिटिंग साइंटिस्ट काम कर चुकी हैं। इसके अलावा स्पेन में काम करने के लिए ईएमबीओ शॉर्ट-टर्म फेलोशिप से भी डॉक्टर नशीमन को सम्मानित किया जा चुका है।
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डॉक्टर नशीमन मौजूद समय में जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर स्थित सीएसआईआर-आईआईआईएम के प्लांट में बतौर वरिष्ठ वैज्ञानिक कार्यरत हैं। वह बायो टेक्नोलॉजी डिवीजन में काम कर रही हैं। Dr. Nashiman Ashraf की मुख्य तौर पर रिसर्च केसर के सुधार पर केंद्रित है। डॉक्टर नशीमन ने कहा, हमारा मकसद कश्मरी घाटी की बेशकीमती फसल केसर की खेती को बढ़ावा देना व लोगों को बेहतर क्वालिटी वाला केसर उपलब्ध कराना है। इससे किसानों के साथ जनता को भी लाभ होगा।
डॉक्टर नशीमन का मानना है कि एक रिसर्चर की जिंदगी तनाव भरी होती है, पर जब वह प्रकृति को समझने लगता है तो सारा तनाव खत्म हो जाता है। इससे ज्ञान भी बढ़ता है और अन्य लोगों के लिए कुछ कर पाने की चाहत आपको लक्ष्य के और पास ले जाती है।
डॉक्टर नशीमन का कहना है कि उनका मुकाम हासिल करने का सफर आसान नहीं रहा है। इस कारण यह भी है कि कश्मीर घाटी में बड़े पदों पर महिलाओं की संख्या कम है। खासकर इंजीनियरिंग और मैथमेटिक्स में करियर चुनने वाली महिलाओं की संख्या कम है। उन्होंने कहा, ऐसे में हमें बहुत मेहनत करने की जरूरत है। इससे महिलाएं बिना किसी चिंता से साइंस में अपना करियर चुन सकेंगी और उन्हें भेदभाव भी नहीं झेलना पड़ेगा।
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