इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Plastic in Human Blood: क्या कभी आपने ये सोचा है कि व्यक्ति के शरीर में बनने वाले खून में प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण भी मिले हो सकते हैं। इस बात पर इतना परेशान होने की आवश्यकता नहीं, बल्कि सचेत रहने की जरूरत है। बता दें नीदरलैंड की यूनिवर्सिटी (Vrije Universiteit Amsterdam) ने एक रिसर्च की है।
Effect of plastic pollution on Humans
इसमें पता चला है कि 80 फीसदी लोगों के खून में प्लास्टिक के कण (Plastic particles) मौजूद हैं। तो चलिए जानते हैं कि कैसे बना प्लास्टिक। क्या होती है माइक्रोप्लास्टिक (Microplastics), शोध से क्या पता चला। खून में कैसे पहुंचता है प्लास्टिक। इससे शरीर को क्या है नुकसान?
कैसे तैयार हुआ प्लास्टिक?
आमतौर पर यह माना जाता है कि कोयला और तेल को मिलाकर प्लास्टिक को तैयार किया जाता है। काफी हद तक ये सही भी है। लेकिन कहते हैं कि आज से करीब 100 साल पहले बेल्जियम मूल के साइंटिस्ट लियो बैकलैंड ने फिनोल और फॉर्मेल्डिहाइड नाम के दो केमिकल को मिलाकर एक पदार्थ बनाया, जिसका नाम बैकेलाइट दिया गया। इसी बैकेलाइट को सबसे पहला प्लास्टिक या सिंथेटिक प्लास्टिक कहा गया।
अब तक कितना तैयार हुआ प्लास्टिक? Human Health Plastic Pollution effects on Humans
- 1950 से अब तक इंसानों ने करीब 8.25 लाख करोड़ किलोग्राम से ज्यादा प्लास्टिक तैयार किया है। करीब 10 हजार लाख हाथी के वजन के बराबर हमने प्लास्टिक का निर्माण किया है। जिस हिसाब से प्लास्टिक का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है, उसे देखते हुए रिपोर्ट में बताया गया है कि यह आंकड़ा 2050 तक 12.02 लाख करोड़ किलोग्राम तक पहुंच सकता है।
How plastic enters human body
- रॉयल मेलबोर्न इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी और हैनान यूनिवर्सिटी के एक लैब-आधारित अध्ययन से पता चला है कि प्लास्टिक के सूक्ष्म और दूषित केमिकल के 12.5 फीसदी कण मछलियों तक पहुंच जाते हैं। वह उन्हें भोजन समझ कर निगल जाती हैं, जो उन्हें काफी नुकसान पहुंचाते हैं। वे मर भी जाती हैं।
माइक्रोप्लास्टिक क्या है?
पर्यावरण और मौसम पर रिसर्च करने वाली इंस्टीट्यूट नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फियरिक ने रिपोर्ट में बताया है कि 5 मिलीमीटर से छोटे यानी 0.2 इंच के आकार या इससे छोटे प्लास्टिक के कण ही माइक्रोप्लास्टिक (Microplastics) कहलाते हैं। माइक्रो का मतलब काफी छोटा या सूक्ष्म होता है। इस वजह से ही इस छोटे कण का नाम माइक्रोप्लास्टिक रखा गया है। अब इस बात को आप ऐसे भी समझ सकते हैं कि एक माइक्रोप्लास्टिक एक तिल के बीज के बराबर या थोड़ा छोटा हो सकता है।
कितने लोगों पर हुई रिसर्च? Can plastic pollution kill humans
आपको बता दें कि हाल ही में यूनिवर्सिटी आफ एम्सटर्डम के मेडिकल सेंटर में एक रिसर्च हुई, जिसमें 22 लोगों के खून के सैंपल (blood samples) लिए गए थे। इस जांच में पता चला कि इनमें से 17 ब्लड डोनर के शरीर में माइक्रोप्लास्टिक (Microplastic) मौजूद है।
Causes of plastic pollution in points
रिसर्चकर्त्ताओं का कहना है कि वह और उनकी टीम इन 22 लोगों के खून में 700 नैनोमीटर से बड़े सिंथेटिक पॉलिमर का पता लगा रहे थे। इस दौरान उन्हें 17 लोगों के खून में पॉलीइथिलीन टेरेफ्थलेट और स्टायरीन पॉलिमर के बने माइक्रोप्लास्टिक मिले हैं। यह पहली बार हुआ है जब इंसान के खून में प्लास्टिक मिले होने का पता चला है।
इंसान के खून में कैसे मिलता है माइक्रोप्लास्टिक?
- हमारे शरीर के अंदर प्लास्टिक के कण खाने-पीने (food packaging) के सामान और सांस लेने के दौरान हवा के जरिए पहुंचते हैं। ये छोटे-छोटे प्लास्टिक के कण हवा में तैर रहे होते हैं और कई बार तो ये बारिश के जरिए भी पीने के पानी में मिल जाते हैं। यही नहीं, प्लास्टिक की बोतल से पानी पीते समय या फिर किसी प्लास्टिक के पैकेट में खाने की पैकेजिंग की वजह से माइक्रोप्लास्टिक हमारे शरीर में हार्ट तक पहुंच जाता है।
Plastic pollution harmful effects
- is plastic hazardous waste: बता दें कि खान-पान के जरिए प्लास्टिक के बेहद छोटे कण हमारे लिवर में पहुंचते हैं। जहां से पाचन प्रक्रिया के जरिए ये खून में मिल जाते हैं। इसके अलावा सांस लेने के दौरान कई बार हवा में मौजूद प्लास्टिक कण हमारे हार्ट तक पहुंच जाता है। जहां लंग्स में फंसे होने की वजह से कई बार ये यहीं से खून में मिल जाता है।
Harmful effects of plastic pollution on human health
- माना जाता है कि व्यक्ति प्रतिदिन दांतों की सफाई के दौरान जिस ब्रश का इस्तेमाल करता, उसके जरिए यह शरीर में प्रवेश करता है। यही वजह है कि जांच के दौरान नमूने के हर मिलीलीटर खून में 1.6 माइक्रोग्राम का प्लास्टिक मिला है। वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फेडरेशन 2019 की रिपोर्ट में सामने आया है कि हर सप्ताह प्लास्टिक के करीब 2000 छोटे कण खाने या सांस के जरिए इंसान के शरीर के अंदर पहुंचते हैं।
माइक्रोप्लास्टिक से शरीर को क्या नुकसान?
- is plastic cause cancer: हर वर्ष व्यक्ति करीब 1,04,000 माइक्रोप्लास्टिक (Microplastics) के कणों को निगल जाते हैं। माइक्रोप्लास्टिक के निगलने के कई खतरे हैं। जैसे कि- प्लास्टिक बनाने में बिस्फेनॉल ए (बीपीए) केमिकल का इस्तेमाल होता है, जो माइक्रोप्लास्टिक में मिला होता है। इससे भविष्य में कैंसर होने की आशंका होती है। खून में प्लास्टिक के कण मिलने की वजह से ब्लड प्रेशर में वृद्धि हो सकती है। माइक्रोप्लास्टिक के कारण हमारे लिवर और किडनी को भी नुकसान हो सकता है।
भारत में कितना तैयार होता है प्लास्टिक
- बताया जाता है कि 2018-19 में भारत में कुल 33.60 लाख टन प्लास्टिक वेस्ट तैयार होने की बात कही गई। तमिलनाडु, महाराष्ट्र और गुजरात महज इन तीन राज्यों में भारत में कुल प्लास्टिक का 35 फीसदी हिस्सा पैदा होता है। द्र सरकार ने प्लास्टिक इस्तेमाल करने की आदतों में हो रही वृद्धि और इसके बुरे परिणामों को देखते दो अक्टूबर 2019 से देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगाने का निर्णय किया था। इसके तहत प्लास्टिक बैग, कप, प्लेट, छोटी बोतलें, स्ट्रॉ के प्रयोग को समाप्त करने की बात कही गई।
- इस योजना को धरातल पर सफल बनाने के लिए सरकार ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को जिम्मेदारी सौंपी है। वहीं पर्यावरण मंत्रालय ने प्लास्टिक पैकेजिंग उत्पाद बनाने वालों के लिए नए नियम जारी किए हैं। अब इन कंपनियों के लिए बेकार प्लास्टिक को इकट्ठा कर उसके कम से कम एक हिस्से को रिसाइकिल कर उसका बाद में इस्तेमाल अनिवार्य कर दिया गया है।
प्लास्टिक क्यों बना चिंता का विषय? Is plastic bad for health
प्लास्टिक के साथ समस्या यह है कि यह बायोडिग्रेडेबल नहीं है। यह कागज या भोजन की तरह सड़ता नहीं है, इसलिए यह सैकड़ों वर्षों तक पर्यावरण में घूम सकता है। वैज्ञानिकों ने उत्तरी फुलमार के समुद्री पक्षियों के मल में 47 फीसदी तक माइक्रोप्लास्टिक के कण मिलने की बात कही है। माइक्रोप्लास्टिक के प्रभाव से कछुए और अन्य समुद्री जीव भी अनछुए नहीं हैं। Plastic in Human Blood
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