इंडिया न्यूज, अंबाला:
International Mine Awareness Day देश और दुनियाभर में जारी कई तरह की अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता (awareness) फैलाने के मकसद से कई तरह के कार्यक्रम (programme) आयोजित तो किए जाते हैं। लेकिन सरकारी विभाग उन कार्यक्रमों में बताई गई चीजों को कितना लागू करवा पाते हैं या आम लोग उनका कितना अनुसरण करते हैं, यह तो लगभग सब लोग जमीनी स्तर पर देखते ही होंगे। इसी तरह हर वर्ष दुनिया भर में आज के दिन यानी चार अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय खदान जागरूकता दिवस मनाने का प्रचलन है।
देश और दुनियाभर में आज 16वां अंतरराष्ट्रीय खदान जागरूकता व खदान कार्य सहायता दिवस मनाया जाएगा। आठ दिसंबर 2005 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) ने चार अप्रैल को हर साल अंतरराष्ट्रीय खदान जागरूकता और खदान कार्य सहायता दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की थी। इसके बाद 4 अप्रैल, 2006 को पहली बार यह दिवस मनाया गया था। उसके बाद से हर वर्ष आज के दिन देश व विदेशों में यह दिवस मनाया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय खदान जागरूकता दिवस (International Mine Awareness Day) पर लोगों को लैंडमाइंस (landmines) के कारण पैदा हुए खतरे (danger) से सुरक्षा प्रदान करने के अलावा स्वास्थ्य और जीवन से संबंधित दिक्कतों की जानकारी दी जाती है। साथ ही राज्य सरकारों को खदान क्लिअरिंग प्रोग्राम विकसित करने के लिए भी प्रोत्साहित किया जाता है। इस कार्यक्रम का मकसद उन देशों में राष्ट्रीय खदान-कार्य क्षमता स्थापित करना और विकसित करने में मदद करना भी है जहां खदान और विस्फोटक युद्ध अवशेष सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा उत्पन्न करते हैं। इसके लिए राष्ट्रीय और स्थानीय स्तर पर राज्यों के प्रयास, संयुक्त राष्ट्र और संबंधित संगठनों के साथ मिलकर मदद की जाती है।
अंतरराष्ट्रीय खदान जागरूकता दिवस (International Mine Awareness Day) पर लोगों को अवैध खनन से बनने वाले खतरों से जागरूक किया जाता है पर इसके बावजूद दुनियाभर में लोग गैर कानूनी तरीके से और बेरोकटोक रेत व अन्य खनन में लगातार जुटे हुए हैं। कुछ वर्षों से भारत में अवैध रेत खनन का धंधा बहुत जोर पकड़ गया है और अनेक राज्य इसकी गिरफ्त में आए हुए हैं। अगस्त 2021 की एक रिपोर्ट के मुताबिक हर वर्ष दुनिया भर में नदियों और झीलों आदि से लगभग 5,000 करोड़ टन रेत व बजरी निकाली जा रही है। भारत सहित 70 देशों में अवैध खनन होता है। यह दुनिया में सबसे ज्यादा खनन की जाने वाली सामग्री है। आज जमाव से कहीं ज्यादा तेजी से इनका अंधाधुंध खनन हो रहा है।
पानी के बहाव की दिशा बदलने से नदियों के आसपास के क्षेत्रों की कृषि भी प्रभावित हो रही है। इसी कारण केंद्र और राज्य सरकारों ने रेत खनन के मापदंड तय करके कई जगह इस पर पूरी तरह रोक लगा रखी है परंतु इसके बावजूद अवैध खनन लगातार जारी है। रेत माफिया लगातार देश की जड़ें खोदने में जुटा हुआ है। सरकार को मिलने वाले राजस्व को भी अवैध खनन से भारी हानि हो रही है। इसके अलावा पर्यावरण को भी क्षति पहुंच रही है।
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