इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Article 5 Gave Life To Imran: पाकिस्तान में इस समय राजनीति में काफी उठापटक चल रही है। इसी बीच बीते कल प्रधानमंत्री इमरान खान की सिफारिश पर वहां के डिप्टी स्पीकर कासिम सुरी ने संविधान के आर्टिकल 5 के तहत विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इसके बाद से आर्टिकल 5 सुर्खियों में है। तो चलिए जानते हैं संविधान में क्या कहता है आर्टिकल 5, क्या नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव का खारिज होना कानूनी रूप से सही है या नहीं।
क्या कहता है आर्टिकल 5? (Article 5 Gave Life To Imran)
- पाकिस्तान संविधान के आर्टिकल 5 में कहा गया है कि देश के प्रति वफादारी हर नागरिक का कर्तव्य है। साथ ही देश के कानून को हर नागरिक को मानना होगा। चाहे वह जहां भी रहें या फिर कुछ समय के लिए पाकिस्तान में रहा हो।
पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में बीते कल सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ कहा-आर्टिकल 5 के तहत देश के प्रति वफादारी हर पाकिस्तानी नागरिक का कर्तव्य है।
- उन्होंने कहा कि देश का विपक्ष विदेशी ताकतों से गया है। इसके बाद डिप्टी स्पीकर ने अविश्वास प्रस्ताव खारिज कर दिया और सत्र को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति को नेशनल असेंबली भंग करने और नए सिरे से चुनाव कराने की सलाह दी। इमरान खान की सिफारिश पर राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने नेशनल असेंबली को भंग कर दिया है। अब पाकिस्तान में अगले 90 दिन के अंदर आम चुनाव कराए जाएंगे। तब तक इमरान कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने रहेंगे।
विपक्ष के सामने विकल्प क्या?
- पाकिस्तान के विपक्षी दल ने डिप्टी स्पीकर के कदम को असंवैधानिक बताया है। विपक्ष का कहना है कि जिसने भी नेशनल असेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान होने से रोका है। उन्होंने देशद्रोह का अपराध किया है। विपक्षी इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट तुरंत जवाब देगा।
- वहीं पीपीपी नेता बिलावल भुट्टो ने कहा कि इमरान खान हार गए हैं लेकिन वह अपनी हार नहीं मान रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट संविधान की सर्वोच्चता पर काम करेगा। इसके साथ ही विपक्ष सड़कों पर उतर सकता है। ऐसे में देश में अराजकता फैल सकती है। अभी तक पाकिस्तान की सेना तटस्थ रुख अपनाए हुए है। हालांकि स्थिति ज्यादा खराब होने पर सेना कुछ समय के लिए सत्ता अपने हाथ में ले सकती है।
क्या पाक सुप्रीम हस्तक्षेप कर सकती है?
- अगर कोर्ट फैसला करती है कि यह दुर्भावनापूर्ण है, तो उस स्थिति में प्रधानमंत्री को कोर्ट सलाह देगी कि नेशनल असेंबली को भंग किया जाए। ऐसा इसलिए क्योंकि कोर्ट मानती है कि वो एक ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव है। बताया जा रहा है कि अगर सुप्रीम कोर्ट स्पीकर के कदम के खिलाफ फैसला करती है तो अविश्वास प्रस्ताव पर फिर से मतदान होगा।
- उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर कोर्ट सदन की आंतरिक कार्यवाही में हस्तक्षेप नहीं करती है, लेकिन स्पीकर को संविधान की अवहेलना की छूट भी नहीं दे सकती यानी कोर्ट हस्तक्षेप कर सकती है। पाकिस्तान के लीगल एक्सपर्ट ने कहा कि पहली नजर में यह संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन लग रहा है। ‘ जब एक अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया और अटॉर्नी जनरल ने अदालत से कहा कि मतदान हो जाएगा तो फिर सरकार का ऐसा करना संवैधानिक प्रावधानों की अवहेलना है।’ पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने राष्ट्रपति की ओर से नेशनल असेंबली भंग करने के बाद इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है।
अविश्वास प्रस्ताव खारिज करना क्या सही है?
पाकिस्तान के लीगल एक्सपर्ट का कहना है कि पहली नजर में यह कदम संविधान और लोकतांत्रिक मानदंडों के खिलाफ है। अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के समय अटॉर्नी जनरल ने अदालत से कहा है कि मतदान होगा। ऐसे में यह एक चाल रही जो संवैधानिक प्रावधानों की अवहेलना है। यदि सदन के भीतर कोई कार्रवाई अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर की गई है तो कोर्ट हस्तक्षेप कर सकती हैं। कोर्ट खुद भी कई बार ऐसा कह चुकी हैं। पाकिस्तान के कई और लोग इमरान के इस फैसले को संविधान का उल्लंघन बता रहे हैं। लीगल एक्सपर्ट ने इमरान की ओर से नेशनल असेंबली भंग करने के कदम को पूरी तरह से असंवैधानिक बताया।
Article 5 Gave Life To Imran
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