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धर्म प्रकाश वाजपेयी, इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
सातवां रायसीना डायलॉग विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर के इस वक्तव्य, कि आज का भारत अपने हितों के प्रति ज्यादा जागरूक है, आत्म विश्वासी है और किसी भी दुराग्रह से प्रभावित होने वाला नही है, के साथ संपन्न हो गया। रायसीना डायलॉग हमारे विदेश मंत्रालय एवं आब्जर्वर् रिसर्च फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जाने वाले विश्व के भू राजनैतिक एवं सामरिक पंचांग का एक विशिष्ट आयोजन है। विश्व की विभिन्न राजधानियों में बैठे रणनीतिकारों को भारत की धमाकेदार उपस्थित के कारण काफी इंतेजार रहता है।
इस सम्मेलन ने अपने सात वर्षों के सात विशिष्ट आयोजनों के बलबूते पर अंतर्राष्ट्रीय वैचारिक तंत्र के मध्य अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित की है ’ कोरोना की विशेष परिस्थित वश पिछला आयोजन आभासी तौर पर किया गया था, इसलिए इस सम्मेलन का ज्यादा महत्व था।
इस वर्ष का सम्मेलन हमारी राजधानी दिल्ली के साथ साथ वाशिंगटन डीसी एवं पेरिस में भी 24 से 27 अप्रैल के बीच आयोजित किया गया था। इसका उदघाटन हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी एवं यूरोपियन यूनियन की अध्यक्षा सुश्री उर्सिला वानडर लेयेन द्वारा किया गया। इसमें लगभग दो दर्जन से अधिक देशों के विदेश मंत्रियों, सौ से अधिक अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों एवं क्वाड देशों की नौ सेनाओ के अध्यक्षों के अलावा सैकड़ों अन्य रणनीतिज्ञों ने भाग लिया।
यह सम्मेलन रूस – युक्रेन् युद्ध के बाद से उभरती परिस्थितियों में विश्व समुदाय के समक्ष उपस्थित चुनौतियाँ, बहुपक्षवाद का अंत – एक नई वैश्विक व्यवस्था, एशिया – प्रशांत की सामरिक चुनौतियाँ , चीन की बढ़ती दखलंदाजी से निपटने, कोरोना की एकबार फिर बढ़ती दस्तक से उपजी अनिश्चितता के मध्य आयोजित किया गया था। इसलिये इसका मुख्य संवाद, ‘आज की नई दुनियां-आंदोलित, अधीर और ज्यादा जोखिमपूण’ रखा गया था।
इस सम्मेलन में आये हुए यूरोपियन देशों के सदस्यों की इच्छा थी कि भारत-यूक्रेन युद्ध के लिए रूस की भर्त्सना करें, लेकिन भारत ने ऐसा कुछ न करते हुए अपने स्वतंत्र विदेश नीति को आगे बढ़ाते हुए किसी को प्रसन्न या नाराज करने वाली दष्टि को छोड़ने पर बल दिया और संवाद के महत्व को दोहराया ’ हमारे विदेश मंत्री श्री जयशंकर जी ने रूस – युक्रेन् युद्ध के समाधान हेतु सबसे पहले युद्ध विराम और समग्र संवाद के भारत के दृष्टिकोण को स्पष्ट किया।
एक और सत्र में हमारे केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने बहुराष्ट्रीय कंपनी टेस्ला को भारत में आकर अपनी विद्युत कार उत्पादित करने के लिए आमंत्रित किया और स्पष्ट शब्दों में चेतावनी भी दी कि आप चीन में उत्पादन कर यदि भारत लाना चाहोगे तो यह नहीं चलेगा।
साठ से अधिक सत्रों में आयोजित इस सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधियों ने अपनी प्राथमिकताओं पर अपना पक्ष अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के समक्ष बखूबी से प्रस्तुत किया ’ इस सम्मेलन में दो दर्जन से ज्यादा देशों के विदेश मंत्रियों, सेना प्रमुखोंऔर अंतर्राष्ट्रीय वैचारिक /बौद्धिक समुदाय की भव्य उपस्थित भारत की बढ़ती सामरिक शक्ति एवं कूटनीति की विश्व मंच पर स्वीकार्यता का आगाज कराती है और इसके लिए नि:संदेह हमारे मोदी जी के रूप में यशस्वी नेतृत्व को श्रेय दिया जा सकता है।
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