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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
6 महीने पहले 41 आयुध निर्माणियों का निगमीकरण करने के बाद बनी 7 कंपनियों ने अच्छा मुनाफा कमाया है। इन 7 में से 6 कंपनियों ने इस अवधि में अपना टर्नओवर 8400 करोड़ रुपए रहा है। दरअसल, केंद्र सरकार ने 15 अक्टूबर, 2021 को विजयदशमी के दिन 7 में से 6 नई रक्षा कंपनियों का लोकार्पण किया था। अब एक रिपोर्ट से मालूम हुआ है कि इन रक्षा कंपनियों को अच्छे आर्डर मिले हैं।
जानकारी के मुताबिक, इन कंपनियों ने पिछले 6 महीने में 3000 करोड़ रुपए के घरेलू अनुबंध किए हैं और 600 करोड़ रुपए से अधिक के निर्यात आर्डर मिले हैं। सबसे बड़ा निर्यात आॅर्डर म्यूनिशन इंडिया लिमिटेड कंपनी को 500 करोड़ रुपए का मिला है।
इन सात में से 6 कंपनियां म्यूनीशन्स इंडिया लि. (MIL), आर्मर्ड व्हेकिल्स निगम लि. (अवनी), एडवांस्ड वेपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लि. (एडब्लूई इंडिया), ट्रूप कंफर्ट्स लि. (TCL), इंडिया आपटेल लि. (आईओएल) और ग्लाइडर्स इंडिया लि. (जीआईएल) ने लाभ अर्जित किया जबकि एक कंपनी यंत्र इंडिया लिमिटेड (वाईआईएल) को घटा हुआ है।
क्रम संख्या | नई रक्षा कंपनी | पिछले तीन वर्षों के दौरान औसतन छमाही लाभ (+)/ हानि (-) | अनन्तिम लाभ (+)/ हानि (-)(एक अक्टूबर, 2021 – 31 मार्च, 2022)
मुनाफा करोड़ रुपए में |
1 | एमआईएल | -677.33 | 28 |
2 | एवीएनएल | -164.33 | 33.09 |
3 | आईओएल | -5.67 | 60.44 |
4 | वाईआईएल | -348.17 | -111.49 |
5 | एडब्लूईआईएल | -398.5 | 4.84 |
6 | जीआईएल | -43.67 | 13.26 |
7 | टीसीएल | -138.17 | 26 |
केंद्र सरकार ने शुरूआत में नई रक्षा कंपनियों की मदद की, ताकि वे कार्पोरेट संस्थाओं की तरह अपना व्यापार शुरू कर सकें। पुराने ओएफबी के साथ पूरे न किये जा सकने वाले आर्डरों को दुरुस्त किया गया और उन्हें संविदाओं में बदल दिया गया। इसकी कीमत 70,776 करोड़ रुपये निर्धारित की गई।
वित्तवर्ष 2021-22 के लक्ष्य के मद्देनजर, 7,765 करोड़ रुपये नई रक्षा कंपनियों को प्रदान किए गए, ताकि व्यापार शुरू करने के पहले 60 प्रतिशत तैयारी कर लें। इसके अलावा पूंजी खर्च और इक्विटी के लिये वर्तमान वित्तवर्ष के दौरान सात नई कंपनियों को 2,765.95 करोड़ रुपये जारी किये गये।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 16 जून, 2021 को एक प्रमुख निर्णय लेते हुये रक्षा विनिर्माण में बड़ा सुधार किया था। इस सुधार के तहत आयुध फैक्ट्री बोर्ड को रक्षा मंत्रालय का अधीनस्थ विभाग बना दिया। बोर्ड को केंद्र के स्वामित्व वाली सात कार्पोरेट संस्थाओं में बदल दिया, जिसका प्रबंधन व्यावसायिक तरीके से हो सके। यह आयुध फैक्टरियों के कामकाज में क्रांति लाने वाला कदम था।
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