इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
देश दुनिया में अभी कोरोना संक्रमण का खतरा टला नहीं है कि एक और नया वायरस सामने आया है। रिपोर्ट अनुसार ब्रिटेन में मंकीपॉक्स वायरस का एक मामला देखा गया है, जिस व्यक्ति में इस वायरस की पुष्टि हुई है वह हाल ही में नाइजीरिया से आया था। कहा जा रहा है ये वायरस चूहे जैसे संक्रमित जीवों से मनुष्य में फैलता है।
ब्रिटेन की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी के मुताबिक यह एक दुर्लभ संक्रमण है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से नहीं फैल सकता और इसके लक्षण भी बेहद मामूली होते हैं। कुछ स्थितियां ऐसी होती हैं, जिनमें कुछ सप्ताह में ही व्यक्ति सही हो जाता है तो कुछ स्थितियों में बीमारी गंभीर रूप ले सकती है। ऐसे में इस समस्या के बारे में पता होना जरूरी है। तो चलिए जानते हैं मंकीपॉक्स वायरस क्या है और इंसानों में कैसे फैलता है।
अमेरिका के सीडीसी मुताबिक, यह एक दुर्लभ बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण के कारण होती है। यह ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस से संबंधित है जिसमें वेरियोला वायरस (जो चेचक का कारण बनता है), वैक्सीनिया वायरस (चेचक के टीके में प्रयुक्त), और काउपॉक्स वायरस शामिल हैं। अभी तक यह साफ नहीं हो पा रहा है कि इस वायरस का होस्ट कौन है, लेकिन अफ्रीकन रोडेंट और बंदर को इसके संचरण और संक्रमण का कारण माना जाता है।
पहले भी बताया कि मंकीपॉक्स वायरस एक जूनोटिक बीमारी है। इसमें जानवर से मानव में फैलने की क्षमता होती है। यह शरीर में त्वचा के घाव, श्वसन पथ, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से प्रवेश करता है। पशु से मानव में रोग का संचरण काटने, खरोंचने, घाव और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संपर्क के माध्यम से हो सकता है। इस रोग का मानव से मानव में फैलने की संभावना सीमित है, लेकिन संक्रमण श्वसन की बूंदों और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संपर्क के माध्यम से होता है।
आपको बता दें कि मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक के तरह के होते हैं, लेकिन कोरोना संक्रमण जितने गंभीर नहीं। यह बीमारी बुखार, सिर दर्द मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, लिम्फ नोड्स में सूजन, ठंड लगना, और थकावट के साथ शुरू होती है। ऊष्मायन अवधि बुखार के 1 से 3 दिनों के बीच होती है। रोगी के शरीर पर चकत्ते विकसित होते हैं, जो चेहरे से शुरू होकर शरीर के अन्य भागों में फैलने लगते हैं। घाव, मैक्यूल, पपुल्स, वेसिकल्स, पस्ट्यूल और स्कैब के माध्यम से आगे बढ़ते हैं। रोग 2-4 सप्ताह तक रहता है।
ऐसे जानवरों के संपर्क से बचें, जो वायरस को फैलाने का काम कर सकते हैं। बीमार जानवरों से डायरेक्ट या इनडायरेक्ट संपर्क से बचें। जो लोग संक्रमित हो जाते हैं, उन्हें स्वस्थ लोगों से दूर रखें यानी उन्हें आइसोलेशन में रखें। हाथों की सफाई पर खास ध्यान देने की जरूरत है।
अभी तक मंकीपॉक्स का कोई इलाज उपलब्ध नहीं हुआ है। हालांकि, स्मॉलपॉक्स वैक्सीन, एंटीवायरल्स और वीआईजी का उपयोग प्रकोप को रोकने के लिए किया जाता है।
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