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इंडिया न्यूज, New Delhi News। Yasin Malik : पूर्व आतंकवादी और जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी यासीन मलिक को एनआईए की स्पेशल कोर्ट (NIA’s special court) ने उम्रकैद की सजा (life imprisonment) दी है। यह सजा टेरर फंडिंग के मामले में दी गई है। बता दें कि यासीन मलिक को दो मामलों में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है और 5 मामलों में 10 साल की सजा दी गई है। सभी सजाएं एक साथ चलेंगी और अधिकतम सजा उम्रकैद की है।
जानकारी अनुसार यासीन मलिक की सुनवाई के दौरान कश्मीर की घाटी (Kashmir Valley) में सुरक्षा को बढ़ा दिया है। वहीं यासीन मलिक (Yasin Malik house) के घर पर ड्रोन से नजर रखी जा रही है। अदालत परिसर में भी सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी थी और फैसले से पहले डाग स्क्वाड को भी तैनात किया गया था।
यासीन मलिक पर आतंकी गतिविधियों में शामिल होने, टेरर फंडिंग (terror funding) करने, आतंकी साजिश रचने और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसे आरोपों में कई मामले दर्ज हैं। भारतीय वायुसेना के 4 निहत्थे अफसरों, पूर्व होम मिनिस्टर मुफ्ती मोहम्मद सईद (Home Minister Mufti Mohammad Sayeed) की बेटी के अपहरण समेत कई अन्य मामलों में भी यासीन मलिक दोषी है।
बता दें कि एनआईए ने यासीन मलिक को फांसी की सजा दिए जाने की मांग की थी। एनआईए ने कहा था कि यासीन मलिक ने जिस तरह के क्राईम को अंजाम दिया है उस हिसाब से उसे फांसी से कम सजा नहीं दी जानी चाहिए।
यासीन मलिक ने केस की सुनवाई के दौरान खुद भी अपना गुनाह कबूल किया था और वकील भी वापस कर दिया था। यासीन मलिक की सजा के ऐलान से पहले पटियाला हाउस कोर्ट (Patiala House Court) के बाहर सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी रही।
सुनवाई के दौरान यासीन मलिक ने कहा कि मैं एक दशक से ज्यादा वक्त से हिंसा से दूर हूं। यासीन के वकील फरहान (Lawyer Farhan) ने कहा मैंने देश के 7 प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया था। यहां तक कि पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने ही उनका पासपोर्ट बहाल किया था।
यासीन मलिक के वकील ने कहा कि जब उन्होंने साफगोई से अपने गुनाहों को कबूल कर लिया है और हिंसा का रास्ता छोड़ दिया था तो फिर उन्हें सजा देने में नरमी बरती जानी चाहिए।
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