सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना ने तीन महिला जजों सहित 9 जजों को एक साथ पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई गई है। सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब एक साथ इतनी संख्या में जजों को शपथ दिलाई गई हो। इससे पहले कभी भी नौ जजों ने एक साथ शपथ नहीं ली थी। जिन्हें शपथ दिलाई गई उनमें जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका, विक्रम नाथ, जितेंद्र कुमार माहेश्वरी, हेमा कोहली, वेंकटरमैया नागरत्ना, चुडालायिल थेवन रविकुमार, एम.एम. सुंदरेश, बेला मधुर्या त्रिवेदी और पामिघनतम श्री नरसिम्हा का नाम शामिल हैं। यह भी पहली बार है जब शीर्ष अदालत में तीन महिला जजों ने पहली बार शपथ ली है। इनमें से जस्टिस बीवी नागरत्ना एक ऐसी जज हैं जो 2027 के आसपास देश की मुख्य न्यायाधीश बनेंगी। हालांकि उनका कार्यकाल काफी संक्षिप्त होगा। इसके अलावा जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने भी जज की शपथ ली जो मई 2028 में मुख्य न्यायाधीश बन सकते हैं। जस्टिस नरसिम्हा सुप्रीम कोर्ट में वकील रहे हैं और उन्हें बार से सीधे सुप्रीम कोर्ट में जज बनाया गया है। खास बात यह है कि जस्टिस नरसिम्हा अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल रहते हुए सरकार के महत्वकांक्षी कानून, एनजेएसी, जिसमें उच्च अदालतों में जजों की नियुक्ति की व्यवस्था की गई थी उसकी वकालत कर चुके हैं। वह स्वतंत्रता सेनानी के परिवार से आते हैं। जस्टिस नरसिम्हा सुप्रीम कोर्ट में सीधे जज बनने वाले नौवें वकील हैं। यह पहली बार नहीं होगा कि सीधे जज बनने वाले मुख्य न्यायाधीश बनेंगे। इससे पूर्व जस्टिस एसएम सीकरी भी वकील से सीधे जज बन थे और जनवरी 1971 में देश के मुख्य न्यायाधीश बने थे। सुप्रीम कोर्ट में वकीलों को सीधे जज बनाने की शक्ति संविधान के अनुच्छेद 124 से आती है। इसके अनुसार वह व्यक्ति सुप्रीम कोर्ट में जज बन सकता है। जो कम से कम पांच साल हाईकोर्ट के जज रहे हों। या हाईकोर्ट में कम से कम 10 साल वकालत की हो। या राष्ट्रपति की राय में प्रमुख न्यायविद हों, लेकिन सु्प्रीम कोर्ट में अब तक तीसरी श्रेणी के लोगों को जज नहीं बनाया गया है। जो भी वकील सीधे जज बने हैं वह दूसरी श्रेणी यानी वकालत पेशे से ही आते हैं। सुप्रीम कोर्ट में प्रोन्नत होने वाले हाईकोर्ट जजों में जस्टिस आकिल कुरैशी का नाम नहीं है। वह मुख्य न्यायाधीशों की वरिष्ठता में दूसरे नंबर पर हैं। सुप्रीम कोर्ट में प्रोन्नत किए गए जस्टिस एएस ओका पहले नंबर पर हैं। लेकिन कॉलेजियम की इस सूची में जस्टिस कुरैशी छूट गए। वह फिलहाल त्रिपुरा हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश हैं। उन्हें मुख्य न्यायाधीश बनाने पर भी काफी विवाद हुआ था और कोलेजियम ने उन्हें मुख्य न्यायाधीश बनाकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट भेजा था, लेकिन केंद्र सरकार ने इसकी अनुमति नहीं दी और अंतत: उन्हें त्रिपुरा हाईकोर्ट भेजने पर सहमति बनी। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल भी दाखिल की गई थी।