इंडिया न्यूज़, Kashmir News : कश्मीरी पंडितों और बाहर से आकर बसे नौकरी कर रहे लोगों पर लक्षित हमले जम्मू-कश्मीर प्रशासन और केंद्र के लिए नई सुरक्षा दुविधा के रूप में सामने आए हैं। पर्यवेक्षकों का मानना है कि हमले बाहरी लोगों को कश्मीर में बसने से रोकने वाले अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के कारण जनसांख्यिकीय परिवर्तन की आशंकाओं का परिणाम है। आज हालात इतने खराब हो गए हैं कि बीते 26 दिनों में ही आतंकियों ने 10 लोगों को निशाना बनाया है।
जम्मू-कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा खोने और प्रत्यक्ष केंद्रीय शासन के तहत आने के बाद से बढ़ती हुई अशक्तता की भावना ने इस तरह की आशंकाओं को हवा दी है। जम्मू और कश्मीर जून 2018 से केंद्रीय शासन के अधीन है, और केंद्र शासित प्रदेश में केंद्र द्वारा घोषित परिवर्तनों, जिसमें नए अधिवास कानून भी शामिल हैं, ने भी इस तरह की आशंकाओं को हवा दी है। पिछले कुछ समय से ये हमले बहुत बढ़ गए हैं, और अब इस पर बड़ा खुलासा हुआ है।
प्राप्त जानकारी ने अनुसार टारगेट किलिंग की सारी प्लानिंग पिछले साल PoK के मुजफ्फराबाद में की गई थी। इस प्लानिंग में 200 लोगों की लिस्ट तैयार की गई थी जिनकी लगातार अब हत्याएं हो रही हैं। ISI के अफसरों और अलग अलग आतंकी तंजीमो के बीच 21 सितंबर 2021 में PoK के मुजफ्फराबाद में मीटिंग हुई थी।
मीडिया में इस बात की पुष्टि अक्टूबर 2021 में भी हुई थी। ISI की आतंकी संगठनों के साथ हुई इस मीटिंग में यह फैसला लिया गया था कि टारगेट किलिंग को अंजाम देने के लिए अलग-अलग और नए नामों से आतंकी ग्रुप बनाए जाएंगे। मीटिंग में यह तय किया गया कि RSR और बीजेपी के लोकल नेताओं, कश्मीरी पंडितों और केंद्र सरकार के कर्मचारियों को निशाना बनाया जाएगा। एक साल बीत जाने के बाद अब ISI का प्लान कश्मीर में हाहाकार मचा रहा है।
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