Cancer Research | 18 Patients Cured With New Immunotherapy Drug
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इतिहास में पहली बार, इम्यूनोथेरेपी की नई दवा से ठीक हुए कैंसर के 18 मरीज

Vir Singh • LAST UPDATED : June 8, 2022, 1:05 pm IST
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इतिहास में पहली बार, इम्यूनोथेरेपी की नई दवा से ठीक हुए कैंसर के 18 मरीज

इतिहास में पहली बार, इम्यूनोथेरेपी की नई दवा से ठीक हुए कैंसर के 18 मरीज

इंडिया न्यूज, वाशिंगटन, (Cancer Research) कैंसर के बारे में वयस्क तो लगभग सभी जानते होंगे कि यह एक जानलेवा रोग है और अब तक इस पर कोई खास दवाई काम नहीं करती। लेकिन एक ताजा अध्ययन में सामने आया है कि केवल छह महीने तक दवाई खाने से इस रोग के मरीज पूरी तरह ठीक हो गए। छह माह बाद किसी भी मरीज की जांच में ट्यूमर सामने नहीं आया। अमेरिका में इस पर अध्ययन किया गया है।

अध्ययन के नतीजे न्यू इंग्लैंड जर्नल आफ मेडिसिन में प्रकाशित किए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार अध्ययन में पाया गया कि इम्यूनोथेरेपी की नई दवा खाने से रेक्टल कैंसर के सभी 18 रोगी पूरी तरह ठीक हो गए। ट्रायल में पाया गया है कि प्रायोगिक उपचार प्राप्त करने वाला हर रेक्टल कैंसर रोगी ठीक हो गया है। यह एक तरह से चमत्कार है। छह माह तक दवाई खाने वाले कुछ मरीजों को दो साल हो चुके हैं और अब तक उनके अंदर कैंसर का कोई लक्षण नहीं उभरा है।

एक छोटे से ट्रायल से कैंसर रोगी स्वस्थ हो गए : डॉक्टर लुइस

रिपोर्ट के मुताबिक कैंसर के इतिहास में पहली बार है जब एक छोटे से ट्रायल से कैंसर के रोगी स्वस्थ हो गए। स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर के डॉक्टर लुइस ए डियाज जे ने यह बात कही है। कैंसर के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है। न्यूयॉर्क के मेमोरियल स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर ने एक छोटा क्लिनिकल ट्रायल किया था जिसमें 18 रोगियों ने करीब छह महीने तक चेकप्वाइंट इनहिबिटर कही जाने वाली दवा डोस्टरलिमैब ली। आखिर में इनमें से प्रत्येक रोगी ने अपने ट्यूमर को गायब पाया।

शुरुआती स्टेज में था सभी रोगियों का कैंसर

विशेषज्ञों का कहना है कि भले यह एक छोटा अध्ययन है, लेकिन इसके नतीजे उत्साहजनक हैं। इससे आने वाले समय में अलग-अलग तरह के कैंसर के सटीक उपचार का रास्ता निकल सकता है। छह माह तक हर तीसरे सप्ताह डोस्टारलिमैब की एक खुराक दी गई। डोज पूरी होने पर जब जांच की गई तो किसी भी रोगी में कैंसर का लक्षण नहीं पाए गए। अध्ययन से पहले माना जा रहा था कि शायद कुछ रोगियों को बाद में किसी दवा देने या उनके लिए कीमोथेरेपी की जरूरत पड़े, पर ऐसा नहीं हुआ। अध्ययन में शामिल सभी रोगियों का कैंसर शुरुआती स्टेज में था। मतलब शरीर के दूसरे अंगों तक अभी यह फैलना शुरू नहीं हुआ था।

क्लिनिकल ट्रायल के परिणामों से चिकित्सक भी हैरान

क्लिनिकल ट्रायल के परिणामों से चिकित्सक भी हैरान हैं। अध्ययन की रिपोर्ट के अनुसार क्लिनिकल ट्रायल में शामिल रोगी इससे पहले कैंसर से छुटकारा पाने के लिए रेडिएशन, सर्जरी और कीमोथेरेपी जैसे इलाज करवा चुके थे। अठारह मरीज यह सोचकर क्लिनिकल ट्रायल में शामिल हुए थे कि ये उनके उपचार का अगला चरण है। हालांकि ये मरीज यह जानकर आश्चर्यचकित रह गए कि अब उन्हें भविष्य में उपचार की कोई जरूरत नहीं है।

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