इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
आनलाइन गेम्स आज हमारे देश में लाखों बच्चों के दिमाग पर अपना कंट्रोल कर चुके हैं। ये आनलाइन गेम इतने खतरनाक होते हैं कि इनकी लत पड़ने पर बच्चों को न तो सोना याद रहता है, न खाना खाना और पढ़ाई तो बहुत दूर की बात। इतना ही नहीं, आनलाइन गेम्स के कारण बच्चे गुस्सैल और हिंसक भी होते जा रहे हैं।
हाल ही में लखनऊ में 16 साल के नाबालिग ने अपनी मां को गोलियों से भून दिया। मां का कसूर सिर्फ इतना था कि वह अपने बेटे को पबजी खेलने से रोकती थी। इस घटना के बाद एक बार फिर से ये आनलाइन गेम्स चर्चा का विषय बन गई है। खासकर पबजी जैसी ऐसी गेम्स जिसमें गन वायलैंस होता है। इन गेम्स से न केवल बच्चे गुस्सैल हो जाते हैं बल्कि उनको गन उठाने और उसका ट्रिगर दबाने का मन करता है। यह बात एक सर्वे में भी पता चली है।
JAMA नेटवर्क ओपन की एक रिसर्च के मुताबिक जो बच्चे गन वॉयलेंस पर आधारित खेलते हैं, उनमें गन को पकड़ने और उसका ट्रिगर दबाने की ज्यादा इच्छा होती है। दरअसल, रिसर्चर ने 200 से ज्यादा बच्चों में से 50 प्रतिशत को नॉन वॉयलेंट वीडियो गेम और 50 प्रतिशत को गन वॉयलेंस वाले वीडियो गेम खेलने को दिए। इसके कुछ समय बाद पाया गया कि वॉयलेंस गेम खेलने वाले 60 प्रतिशत बच्चों ने तुरंत गन को पकड़ा। वहीं नॉन वॉयलेंट गेम खेलने वाले सिर्फ 44 प्रतिशत बच्चों ने गन पकड़ी।
बच्चों में इस तरह की हिंसक घटनाएं रोकने के लिए वैसे तो भारत सरकार ने कुछ समय पहले पबजी समेत कई और गेम्स को बैन किया था। लेकिन इसके बावजूद आज भी पबजी की फाइल जुगाड़ से डाउनलोड कर लेते हैं। इस मामले में भारत को चीन से काफी कुछ सीख सकता है।
चीन की सरकार ने वहां के बच्चों को आनलाइन गेमिंग के नशे से बचाने के लिए नए नियम बना दिए थे, जिसके मुताबिक चीन की Online Gaming कंपनियों को ये सुनिश्चित करना होगा कि बच्चे एक हफ्ते में सिर्फ 3 घंटे ही आनइालन गेम खेल पाएं।
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