Lal Bahadur Shastri Jayanti 2021 : मुगलसराय में दो अक्टूबर, 1904 को शारदा प्रसाद और रामदुलारी देवी के घर लाल बहादुर शास्त्री मात्र 16 वर्ष की उम्र में साल 1920 में भारत की आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए थे। स्वाधीनता संग्राम के जिन आंदोलनों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही, उनमें 1921 का असहयोग आंदोलन, 1930 का दांडी मार्च और 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन उल्लेखनीय हैं। उन्होंने ही देश को ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया था। एक बेहद साधारण से घर में जन्मे लाल बहादुर शास्त्री देश के प्रधानमंत्री बने और सार्वजनिक जीवन में दूसरे नेताओं के लिए ईमानदारी और कर्तव्यपरायणता की तमाम मिसालें पेश कीं।
जब अमेरिका ने दी गेहूं रोकने की धमकी, तो लाल बहादुर शास्त्री ने दिया ये करारा जवाब
लाल बहादुर शास्त्री के पास ना तो आलीशान घर था, ना ही कार और ना ही बैंक बैलेंस। रेल मंत्री रहते हुए एक रेल दुर्घटना हुई तो इसकी जिम्मेदारी लेते हुए लाल बहादुर शास्त्री ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। ईमानदारी और कर्तव्यपरायणता ऐसी रही कि उनके चरित्र पर कोई सवाल उठाने की जुर्रत नहीं कर सकता था। विपक्षी भी शास्त्री जी का सम्मान करते थे। उनका जीवन जितना सादा रहा उनकी मृत्यु उतनी ही रहस्यमय परिस्थितियों में हुई। आइए जानते हैं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण किस्से।।।
भारत-पाकिस्तान युद्ध खत्म हुए अभी चार दिन ही हुए थे। बात 26 सितंबर, 1965 की है। प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने दिल्ली के रामलीला मैदान में हजारों की भीड़ के सामने बोलना शुरू किया। शास्त्री ने तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल मोहम्मद अयूब खान पर तंज कसते हुए सदर अयूब ने कहा था कि वो दिल्ली तक चहलकदमी करते हुए पहुंच जाएंगे। वो इतने बड़े आदमी हैं। मैंने सोचा कि उन्हें दिल्ली तक चलने की तकलीफ क्यों दी जाए। हम ही लाहौर की तरफ बढ़ कर उनका इस्तकबाल करें। दरअसल, मोहम्मद अयूब ने पांच फीट दो इंच के कद वाले भारतीय प्रधानमंत्री शास्त्री का एक वर्ष पहले मजाक उड़ाया था। 1965 के युद्ध में पाकिस्तानी सेना को धूल चटाने के बाद प्रधानमंत्री शास्त्री का रामलीला मैदान में दिया गया भाषण जनरल अयूब को करारा जवाब था।
पाकिस्तान के खिलाफ 1965 के युद्ध के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन जॉन्सन ने प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को धमकी दी थी कि अगर आपने युद्ध विराम नहीं किया तो हम आपको पीएल 480 के तहत जो लाल गेहूं भेजते हैं, उसे बंद कर देंगे। उस समय भारत गेहूं उत्पादन में आत्मनिर्भर नहीं था। लाल बहादुर शास्त्री बहुत स्वाभिमानी व्यक्तित्व थे। उन्हें अमेरिकी राष्ट्रपति लिंडन जॉन्सन की बात बहुत गहराई तक चुभ गई। प्रधानमंत्री शास्त्री ने देशवासियों से अपील कि हम हफ्ते में एक वक्त भोजन नहीं करेंगे। पहले शास्त्री ने पत्नी ललिता से कहा कि हमारे यहां सिर्फ एक वक्त का खाना ही बनेगा।
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