इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
बीजेपी की निलंबित प्रवक्ता नुपुर शर्मा मामले में सुप्रीम कोर्ट की हाल ही की टिप्पणियों को लेकर नौकरशाहों, पूर्व सैन्य अधिकारियों और सेवानिवृत्त जजों ने कड़ी अपत्ति जताई है। 77 नौकरशाहों, 25 पूर्व सैन्य अफसरों और 15 सेवानिवृत्त जजों ने इस संबध में चीफ जस्टिस एन वी रमना को एक खुला पत्र लिखकर शीर्ष अदालत के जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस सूर्यकांत की टिप्पणियों को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। फोरम फॉर ह्यूमन राइट्स एंड सोशियल जस्टिस, जेएंडके एंड लद्दाख एट जम्मू की ओर से यह लिखा गया है। टिप्पणियों को लेकर सोशल मीडिया पर भी जजों को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है।
नौकरशाहों व जजों ने सुप्रीम कोर्ट के जजों की टिप्पणियों पर कहा कि शीर्ष अदालत ने ‘लक्ष्मण रेखा’ लांघी है। उन्होंने मांग की है कि जस्टिस सूर्यकांत को उनके सेवानिवृत्त होने तक सुप्रीम कोर्ट के रोस्टर से हटा दिया जाना चाहिए। इसी के साथ जस्टिस सूर्यकांत को नुपुर शर्मा मामले की सुनवाई के दौरान उनके द्वारा की गई टिप्पणियां वापस लेनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने एक जुलाई को मामले की सुनवाई के दौरान नुपुर शर्मा को कहा था कि आपकी वजह से देश देश भर में हंगामा शुरू हुआ। कोर्ट ने कहा कि नुपुर शर्मा ने देश को खतरे में डाल दिया। देश जल उठा। गौरतलब है कि नुपुर शर्मा पर पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ विवादित बयान देने का आरोप है। उनके बयान के विरोध में देश के कई राज्यों में पिछले महीने हिंसा भड़क गई थी। जजों ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा था कि देश में जो भी हो रहा है उसके लिए इकलौती नुपुर शर्मा जिमेदार हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणियों के साथ ही नुपुर शर्मा के खिलाफ देश के कई राज्यों में दर्ज सभी एफआईआर को दिल्ली स्थानांतरित करने और दिल्ली में ही सभी मामलों की सुनवाई की मांग वाली याचिका को भी खारिज कर दिया था। बता दें कि नुपुर शर्मा ने अपनी जान को खतरा बताते हुए सभी एफआईआर को दिल्ली स्थानांतरित करने की शीर्ष अदालत से मांग की थी।
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