Monkeypox India Update | A case found in Kerala samples sent For Testing
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केरल में मिला मंकीपाक्स का संदिग्ध मामला, सैंपल जांच के लिए भेजे

Vir Singh • LAST UPDATED : July 14, 2022, 12:54 pm IST
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केरल में मिला मंकीपाक्स का संदिग्ध मामला, सैंपल जांच के लिए भेजे

केरल में मिला मंकीपाक्स का संदिग्ध मामला, सैंपल जांच के लिए भेजे

इंडिया न्यूज, तिरुवनंतपुरम:

भारत में भी मंकीपाक्स का मामला सामने आने की जानकारी मिली है। केरल में इस रोग का एक संदिग्ध मामला मिला है और जांच के लिए सैंपल भेजे गए हैं। प्रदेश् की स्वास्थ्य मंत्री वीना जार्ज ने आज यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि व्यक्ति विदेश से लौटा है और उसमें मंकीपाक्स के लक्षण दिखने के बाद उसे केरल के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

विदेश से लौटा है शख्स, मंकीपाक्स रोगी के निकट संपर्क में था

वीना जार्ज ने गुरुवार के अनुसार यात्री के नमूने जांच के लिए पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी को भेजे गए हैं। उन्होंने बताया कि परीक्षण के परिणाम मिलने के बाद ही मामले की पुष्टि की जा सकती है। स्वास्थ्य मंत्री ने ज्यादा जानकारी न देते हुए कहा कि उस व्यक्ति में मंकीपाक्स के लक्षण थे और वह विदेश यात्रा के दौरान एक मंकीपाक्स रोगी के निकट संपर्क में था।

जानिए मंकीपाक्स को लेकर डब्ल्यूएचओ का क्या है कहना

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि मंकीपाक्स जानवरों से मनुष्यों में प्रसारित होने वाला वायरस है। इसे एक वायरल जूनोसिस कहा जाता है। इसमें चेचक के रोगियों में अतीत में सामने आए लक्षणों के समान लक्षण होते हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार यह चिकित्सकीय रूप से कम गंभीर है।

इस तरह मनुष्य में फैलता है वायरस, दो से चार सप्ताह चलता है

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मंकीपॉक्स वायरस किसी संक्रमित जानवर अथवा व्यक्ति के संपर्क से या वायरस से दूषित सामग्री के जरिये मनुष्यों में फैलता है। संगठन का कहना है कि यह आमतौर पर दो से चार हफ्ते तक चलने वाले लक्षणों के साथ एक आत्म-सीमित रोग है। इसके अलावा मंकीपॉक्स शरीर के तरल पदार्थ, घावों, श्वसन बूंदों और बिस्तर जैसी दूषित सामग्री के समीप संपर्क से एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है।

जर्मनी, इटली व ब्रिटेन समेत कई देशों में मिल चुके हैं मंकीपाक्स के केस

भारत में अब तक मंकीपाक्स का कोई मरीज सामने नहीं आया है, लेकिन इसके बावजूद केंद्र सरकार एहतियात के तौर पर ट्रेसिग, ट्रीटमेंट व टेस्टिग की प्रक्रिया शुरू कर रही है। आइसीएमआर ने देश की 15 प्रमुख लैब में मंकीपास्क की टेस्टिंग को अपनी मंजूरी दे दी है। इसमें सरकारी मेडिकल कॉलेज स्थित वायरोलाजी लैब भी शामिल है। गौरतलब है कि अब तक जर्मनी, इटली व ब्रिटेन समेत कई देशों में मंकीपाक्स के मामले मिल चुके हैं।

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