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इंडिया न्यूज, कोच्चि, (The Central Government) : केंद्र सरकार ने देश में मंकीपाक्स से पहली मौत को लेकर काफी सर्तक हो गई है। सरकार ने मंकीपाक्स के मामलों पर निगरानी रखने और उसकी रोकथाम के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया है। मंकीपाक्स से मौत का यह एशिया का भी पहला मामला है। इसको मिलाकर विश्व में अब तक इस बीमारी से मरने वालों की संख्या चार हो गई है। मरने वालों में स्पेन के दो और ब्राजील के एक मौत शामिल है।
अब तक 78 देशों में इसके 18,000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसको लेकर 23 जुलाई को वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा की थी। केरल के राजस्व मंत्री के. राजन ने संवाददाताओं को बताया कि 22 वर्षीय युवक 21 जुलाई को यूएई से केरल लौटा था।
थकान और बुखार आने पर वह त्रिसूर के एक अस्पताल में गया था, जहां 27 जुलाई को उसे भर्ती किया गया था। 30 जुलाई को उसकी मौत हो गई। उसके नमूने को पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआइवी) भेजा गया था। सोमवार को आई जांच रिपोर्ट में उसके संक्रमित होने की पुष्टि हुई है।
स्वास्थ्य मंत्री वीना जार्ज ने पत्रकारों को बताया कि युवक के स्वजन एक दिन पहले ही अधिकारियों को बताया था कि भारत लौटने से पहले यूएई में ही उसे मंकीपाक्स से संक्रमित पाया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि स्वास्थ्य विभाग उसकी मौत के कारणों की जांच करेगा। वह युवा था और पहले से उसे कोई गंभीर बीमारी भी नहीं थी।
मंकीपाक्स के मामले पर नजर रखने और उसकी रोकथाम के लिए गठित टास्क फोर्स के प्रमुख नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डा. वीके पाल को बनाया गया है। यह टास्क फोर्स बीमारी की जांच और रोकथाम के उपायों पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आवश्यक और उचित सलाह देगा। देश में अब तक मंकीपाक्स के चार मामले मिले हैं। केरल में तीन और दिल्ली में एक। केरल का एक मरीज ठीक भी हो चुका है।
डब्ल्यूएचओ ने इन अफवाह को खारिज किया है कि मंकीपाक्स संमलैंगिक समुदाय या पुरुषों के बीच यौन संबंध से फैलता है। संगठन का कहना है कि संक्रमितों के सीधे संपर्क में आने वाले किसी भी व्यक्ति को यह बीमारी हो सकती है। मंकीपाक्स का वायरस जानवरों से मानवों में आता है।
स्मालपाक्स (छोटी चेचक या छोटी माता) की तरह ही यह बीमारी होती है। जैसे स्मालपाक्स में शरीर पर लाल दाने या चकते पड़ जाते है वैसे ही इस बीमारी में भी लाल दाने या चकते पड़ जाते है। हालांकि, यह स्मालपाक्स की तरह ज्यादा खतरनाक नहीं है। अभी तक इसे घातक नहीं पाया गया है, लेकिन संगठन ने इससे ज्यादा मौतों की आशंकाओं को खारिज भी नहीं किया है।
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