Congress Working Committee Across The Meeting May Be Decided
अजीत मेंदोला, नई दिल्ली:
Congress Working Committee : कांग्रेस कार्यसमिति की होने वाली बैठक इस बार खासी महत्वपूर्ण होगी। इस बैठक से पता चलेगा कि गांधी परिवार के बचाव कौन-कौन नेता खुलकर सामने आते हैं। क्योंकि पहला टकराव कार्यसमिति की बैठक के स्वरूप को लेकर ही होगा। असंतुष्ट नेता चाहते हैं कि विस्तृत बैठक बुलाने के बजाए रेगुलर कार्यसमिति की बैठक बुलाकर स्थाई अध्य्क्ष का फैसला किया जाए। जबकि अंतरिम अध्य्क्ष सोनिया गांधी विस्तृत कार्यसमिति पर जोर देंगी। असंतुष्ट नेताओं ने इस बार जिस तरह से सवाल उठाए हैं वह सीधे गांधी परिवार को लेकर हैं। ये नेता चाहते पार्टी का चुनाव हो और तय हो कि पार्टी कौन चलाएगा।
राहुल और प्रियंका चला रहे कांग्रेस
इसमे कोई दो राय नहीं है कांग्रेस को राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी ही चला रही हैं। दोनों अपने हिसाब से फैसला भी कर रहे हैं। यूं कहा जा सकता है पार्टी सीधे दो गुटों में बंट चुकी है। राहुल पुराने नेताओं से कोई विचार-विमर्श नहीं करते हैं। एक तरह से उन्हें खाली छोड़ दिया गया है। महाराष्ट्र की एक राज्यसभा सीट के लिए भी राहुल गांधी ने दिग्गजों को दरकिनार कर रजनी पाटिल को मौका दिया। राहुल बराबर संकेत दे रहे हैं कि उन्हें अब पुराने नेताओं की चिंता नही है। हालांकि मानसून सत्र के समय असंतुष्ट नेताओं और कांग्रेस के बीच जोर आजमाइश हुई थी। जिसमें असंतुष्ट भारी पड़े।
विपक्ष को एकजुट करने में असमर्थ रही सोनिया
सोनिया गांधी की विपक्ष को एक करने की कोशिश केवल 20 अगस्त की बैठक तक ही सीमित रही। उनके 20 सितंबर से मोदी सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने के फैसले में विपक्ष ने साथ ही नहीं दिया। कहीं न कहीं कांग्रेस के लिए यह बड़ा झटका था। अंसन्तुष्ट नेताओं ने ऐसे समय पर कार्यसमिति के लिए दबाव बनाया है जब कांग्रेस को एक तरफ पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह चुनोती दे रहे हैं तो दूसरी तरफ टीएमसी नेत्री ममता बनर्जी। कांग्रेस में ही सेंध लगा अपने को राष्ट्रीय स्तर के लिए तैयार कर रही है। गोवा के बाद टीएमसी का उत्तर पूर्व के छोटे राज्यों में तोड़फोड़ का अभियान जारी है। ममता बनर्जी को उत्तर भारत मे बीजेपी से लड़ाई लड़ने के लिए नेताओं की जरूरत है। कमजोर कड़ी कांग्रेस ही दिख रही है। ऐसे में अगले हफ्ते जब कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक होगी उसमें असंतुष्ट नेता गांधी परिवार पर किस तरह से हमला करते हैं यह देखना दिलचस्प होगा।
पिछली बैठक में गहलोत ने किया था बचाव
पिछली कार्यसमिति की बैठक में जब असंतुष्ट नेताओं ने चुनाव की बात उठा सोनिया गांधी पर निशाना साधा तो राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उनका जमकर बचाव किया इसके साथ ही गुलाम नवी आजाद जैसे नेताओं को नसीहत दी कि सभी बिना चुनाव के कार्यसमिति में चुन कर आते रहे हैं। अभी समय चुनाव से ज्यादा मोदी सरकार से मुकाबला करने का है। इसके बाद बीच बीच मे असंतुष्ट नेता सवाल उठाते रहे, लेकिन अब रुख बदला हुआ है।
अधिकांश नेताओं को पार्टी की चिंता
अधिकांश नेताओं की चिंता एक ही है कि पार्टी का क्या होगा? बड़ी संख्या में नेता पार्टी छोड़ रहे हैं। जो राहुल के करीबी थे उन्होंने पार्टी सबसे ज्यादा छोड़ी। सब भविष्य को लेकर असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। सब को लग रहा है कि मौजूदा स्थिति में पार्टी आगे बढ़ ही नहीं सकती। संगठन के बिना केवल प्रधानमंत्री पर हमले से पार्टी मजबूत नहीं होगी।
पार्टी के हो रहे फैसलों पर सवाल उठाएंगे असंतुष्ट
अभी की कार्यसमिति में असंतुष्ट गुट से गुलाम नवी आजाद, मुकुल वासनिक ओर आंनद शर्मा ऐसे नेता हैं जो बैठक में हो रहे फैसलों पर सवाल उठा सकते हैं। इन नेताओं के सामने अभी विकल्प है। पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब विकास पार्टी नाम से संगठन बनाने जा रहे हैं। जो पूरी तरह से कांग्रेस की खिलाफत करेगा। दूसरी तरफ टीएमसी नेत्री ममता बनर्जी भी कांग्रेस की जगह लेने को आतुर दिखाई दे रही हैं। जो हालात हैं उनमें असंतुष्ट नेताओं का राहुल और प्रियंका से टकराव बढ़ना तय है। कार्यसमिति की बैठक में यदि बात बढ़ी तो असंतुष्ट नेता पार्टी छोड़ने पर विचार कर सकते हैं। विकल्प उनके सामने दो दो हैं। सोनिया गांधी और राहुल गांधी कार्यसमिति की बैठक आने वाले हफ्ते में कब बुलाते हैं। यह देखना होगा। बैठक का स्वरूप क्या होगा उस पर सबकी नजर रहेगी।