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10 साल की जुड़वा बहनों ने सबसे कम उम्र की महिला जासूस सरस्वती राजामणि पर लिखी किताब, मुख्यमंत्री चौहान ने किया विमोचन

Sameer Saini • LAST UPDATED : August 13, 2022, 12:31 pm IST
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10 साल की जुड़वा बहनों ने सबसे कम उम्र की महिला जासूस सरस्वती राजामणि पर लिखी किताब, मुख्यमंत्री चौहान ने किया विमोचन

Female Detective Saraswati Rajamani

इंडिया न्यूज़, भोपाल: हमें स्वतंत्रता मिले 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं और देश ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ मना रहा है। ये आजादी वर्षों के संघर्ष, तपस्या, शौर्य और बलिदान की बदौलत मिली है। इसमें कई ऐसे क्रांतिकारियों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की कुर्बानी शामिल है, जिनके बारे में या तो कम जानकारी है या फिर हम बिल्कुल अनजान हैं। देश के लिए अपनी जान दांव पर लगाने वाली ऐसी ही एक शख्सियत पर 10 साल की दो बेटियों ने किताब लिखी है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 10 वर्ष की इन बेटियों की लिखी किताब ‘सरस्वती राजामणि- एक भूली-बिसरी जासूस’ का विमोचन किया है। मुख्यमंत्री चौहान ने दोनों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं और आशीर्वाद दिया है। ‘आजादी के अमृत महोत्सव’ में देवयानी और शिवरंजनी अपनी किताब के जरिए भारत की सबसे कम उम्र की महिला जासूस सरस्वती राजामणि से परिचय करा रही हैं। मुख्यमंत्री चौहान ने बच्चियों के साथ पौधारोपण भी किया।

देवयानी और शिवरंजनी जुड़वां बहनें हैं और इन्होंने महज 10 साल की उम्र में आजाद हिन्द फौज की जासूस सरस्वती राजामणि पर सचित्र किताब लिखी है। इस पुस्तक के सभी चित्र दोनों बच्चियों ने मिलकर बनाए हैं। देवयानी और शिवरंजनी का कहना है ‘इस वक्त जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, हमें उन लोगों को भी याद करना चाहिए, जिनके बारे में ज्यादा लिखा-पढ़ा नहीं गया है, जो हमारे गुमनाम नायक/ नायिका हैं। स्वतंत्रता दिलाने में जिनका महत्वपूर्ण योगदान है लेकिन हमें जानकारी नहीं है।’ साल 2021 में इन बच्चियों की पहली पुस्तक ‘सूर्य नमस्कार’ प्रकाशित हो चुकी है, जिसे देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सराहा था।

सरस्वती राजामणि के जीवन से प्रभावित हुईं देवयानी और शिवरंजनी

Devyani and Shivranjani were influenced by the life of Saraswati Rajamani

देवयानी और शिवरंजनी एक निजी स्कूल में कक्षा पांचवीं में अध्ययनरत हैं। दोनों को किताबें पढ़ना बहुत पसंद है। देवयानी कहती हैं कि लॉकडाउन में जब स्कूल बंद थे। घर में सब बोर हो रहे थे, तब उनकी मां उन्हें पेंटिंग करना सिखाती थीं। करीब एक साल पहले उन्हें ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के बारे में पता चला। उस वक्त दोनों बहनों के मन में ये सवाल कौंधा कि स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं का क्या योगदान रहा।

दोनों ने इस विषय में पढ़ना और रिसर्च करना शुरू किया। इस दौरान उन्होंने ‘अदृश्य’ नाम की किताब पढ़ी, जिसमें युवा जासूस सरस्वती राजामणि के बारे में जानकारी मिली। सरस्वती राजामणि के जीवन, उनके कार्यों, बलिदान और सिद्धातों ने देवयानी और शिवरंजनी को बहुत प्रभावित किया। इसके बाद दोनों बहनों ने उनके जीवन पर किताब लिखने का विचार बनाया, जिससे अधिक से अधिक लोगों का परिचय भारत की इस महिला जासूस से करा सकें।

16 साल की उम्र में आजाद हिन्द फौज का हिस्सा बनी थीं सरस्वती राजामणि

सरस्वती राजामणि आजाद हिन्द फौज की जासूस और बेहद कम उम्र की गुमनाम क्रांतिकारी थीं। उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को बहुत प्रभावित किया था और अंग्रेजों के लिए काल से कम नहीं थीं। सरस्वती राजामणि का जन्म बर्मा के एक संपन्न और देशभक्त परिवार में हुआ था। वे जब 16 साल की थीं, तब नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भाषण से इतनी प्रभावित हुईं कि अपने सारे गहने आजाद हिन्द फौज को दान कर दिए थे। नेताजी को इस बात का विश्वास नहीं हुआ और वो सरस्वती राजामणि से मिलने पहुंच गए।

राजामणि का हौसला और जज्बा देखकर नेताजी ने उन्हें फौज का हिस्सा बना लिया। राजामणि ने अपनी दोस्त दुर्गा के साथ मिलकर ब्रिटिश कैंप की जासूसी की और कई महत्वपूर्ण जानकारियां आजाद हिन्द फौज को दीं। इस दौरान कई अवसरों पर उन्होंने अपनी वीरता का परिचय दिया लेकिन अपने ही देश में सम्मान न पा सकीं। देवयानी और शिवरंजनी कहती हैं कि एक युवा भारतीय को सरस्वती राजामणि का जीवन देशभक्ति, समर्पण, बहादुरी, वफादारी, दान और बिना किसी डर के अपने सपनों का साकार करने की प्रेरणा देता है।

किताब के चित्र भी देवयानी और शिवरंजनी ने बनाए

Devyani and Shivranjani also made pictures of the book.

देवयानी और शिवरंजनी को इस किताब को लिखने में कुल एक साल का समय लगा। 6 महीने रिसर्च और 6 महीने लिखने और चित्र बनाने के लिए लगे। दोनों बहनों ने मिलकर पुस्तक को लिखा और चित्रकारी की है। किताब का कवर पेज बहुत सुंदर है। कवर पेज पर भूत, वर्तमान के हिन्दुस्तान के साथ ही भविष्य के भारत की कल्पना है। अंदर के पृष्ठों पर सरस्वती राजामणि जी के जीवन और उनकी गतिविधियों से जुड़े चित्र हैं। ये पुस्तक लिखी जरूर बच्चियों ने है लेकिन हर उम्र के लोगों के पढ़ने योग्य है।

मां ही प्रेरणा, मां को ही दिया श्रेय

दोनों बेटियां इस पुस्तक का श्रेय अपनी माता श्रीमती स्मिता भारद्वाज, परिवार और दोस्तों को दिया है। देवयानी और शिवरंजनी कहती हैं कि उनकी मां ही उनकी प्रेरणा स्त्रोत हैं। वे बताती हैं कि उनकी मां श्रीमती स्मिता भारद्वाज ही उनकी मदद और मार्गदर्शन किताब के शीर्षक, रिसर्च और पेंटिंग्स बनाने में करती हैं। दोनों बेटियां कहती हैं कि उनकी मां ने अपना सारा समय उन्हें दिया है। उनके सपोर्ट की बदौलत ही वे ये सब कर पा रही हैं। शिवरंजनी कहती हैं कि मां की मदद के बिना कोई भी काम आसान नहीं होता है।

मां अगर साथ दें, सपोर्ट करें तो संघर्ष कम हो जाता है। दोनों बेटियों का कहना है कि उनकी माता और नानी उन्हें सपोर्ट और प्रेरित करती हैं। देवयानी और शिवरंजनी ने कहा कि हर पैरेंट्स को अपनी बेटियों को सपोर्ट करना चाहिए, जिससे वे अपने जीवन में कुछ अच्छा कर पाएं, कुछ हासिल कर पाएं। माता स्मिता भारद्वाज ने कहा कि हर बच्चे में प्रतिभा होती है, उसे समय से निखारने की जरूरत होती है। सबसे बड़ी चीज के रूप में हम अपने बच्चों को अपना समय दें और काबिल बनने के लिए प्रेरित करें।

स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बारे में जरूर पढ़ें बच्चे

Children must read about freedom fighters

देवयानी और शिवरंजनी ने महात्मा गांधी, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, रानी लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई समेत अन्य फ्रीडम फाइटर्स और क्रांतिकारियों के बारे में भी पढ़ा है। दोनों कहती हैं कि देश के हर नागरिक को स्वतंत्रता के संघर्ष के बारे में पढ़ना और जानना चाहिए। बच्चों को तो जरूर इस बारे में पढ़ाया जाना चाहिए, जिससे वे ये जान सकें कि ये आजादी हमें कितने संघर्षों के बाद मिली है। हमें स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान करना चाहिए क्योंकि उनकी बदौलत ही हम आजाद हवा में सांस ले रहे हैं। दोनों बच्चियों ने ‘हर घर तिरंगा’ अभियान को गौरव का विषय बताते हुए तिरंगे के प्रति सम्मान और कृतज्ञता जाहिर की।

कई पुरस्कार जीत चुकी हैं शिवरंजनी और देवयानी

देवयानी और शिवरंजनी को हिन्दी, अंग्रेजी, संस्कृत, मराठी और फ्रेंज का ज्ञान है। वाराणसी एयरपोर्ट पर दोनों की अवाज में उद्घोषणा हो चुकी है। देवायनी को कुकिंग, पेंटिंग और नृत्य का शौक है तो शिवरंजनी को भी खाना बनाना, सिंगिंग करना, बैडमिंटन खेलना और पढ़ाना अच्छा लगता है। शिवरंजनी को कविताएं लिखने का शौक है। उनके पसंदीदा कवि उनके परनाना विट्ठल बारटके हैं।

वे भी पेंटिंग्स बनाते थे और कवि थे। अपने परनाना के दिए रंगों का उपयोग दोनों बच्चियों ने अपनी किताब में बनाए चित्रों में किया है। दोनों ऐतिहासिक जगहों पर घूमना पसंद करती हैं। शिवरंजनी और देवयानी को क्विज, चित्रकारी और स्पेलबी कॉम्पिटीशन में राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं। दोनों का प्लान आगे नदियों और आस-पास रहने वाले जीव-जंतुओं के बारे में किताब लिखने का है, जो वे 5 जून 2023 को लॉन्च करना चाहती हैं।

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