इंडिया न्यूज, नई दिल्ली, (In His First Address To The Nation) : राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर कहा कि कोरोना के बाद भारत का नया उदय हुआ है। उन्होंने आगे कहा कि भारत ने दुनिया को लोकतंत्र की वास्तविक क्षमता का पता लगाने में मदद की है। देश में आज संवेदनशीलता एवं करुणा के जीवन-मूल्यों को प्रमुखता दी जा रही है। इन जीवन-मूल्यों का मुख्य उद्देश्य वंचित, जरूरतमंद तथा समाज के सबसे अंतिम पक्ति में रहने वाले लोगों के हित में कार्य करना है।
76वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में कहा कि देश प्रमुख आर्थिक सुधारों के साथ ही साथ कल्याणकारी पहल कर रही है। जिसके कारण दुनिया ने हाल के वर्षों में नये भारत को विकसित होते देख रही है। यह विकास विशेषकर कोरोना महामारी के बाद देखा जा रहा है।
राष्ट्रपति ने आगे कहा कि जब भारत को आजादी मिली थी, उस समय दुनिया के कई नेताओं और विशेषज्ञों में लोकतांत्रिक स्वरूप को लेकर संशय बना हुआ था। इसका मूल कारण उस समय समाज में व्याप्त गरीबी और अशिक्षा थी। लेकिन समय के साथ भारतीयों ने संदेह जताने वाले लोगों के विचार को गलत साबित कर दिया।
देश में समय के साथ इस मिट्टी में न केवल लोकतंत्र की जड़ें बढ़ीं, बल्कि भारत समृद्ध भी हुआ। उन्होंने आगे कहा कि हमारे पास जो कुछ भी है वह हमारी मातृभूमि का दिया हुआ है। इसलिए हमें अपने देश की सुरक्षा, प्रगति और समृद्धि के लिए अपना सब कुछ अर्पण कर देने का संकल्प लेना चाहिए।
राष्ट्रपति ने अपने 17 मिनट के संबोधन के दौरान कहा कि विश्व में चल रही आर्थिक कठिनाई के विपरीत, भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ रही है। जिसका पूरा श्रेय सरकार तथा नीति-निमार्ताओं का है। उन्होंने कहा कि देश का विकास तेजी से हो रहा है और क्षेत्रीय असमानताएं भी कम हो रही हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के नए आत्म-विश्वास का स्रोत देश के युवा, किसान के साथ देश की महिलाएं हैं। अब देश में दिनों दिन स्त्री-पुरुष में असमानताएं कम होती जा रही हैं। महिलाएं अनेक रूढ़ीवादी विचार और बाधाओं को पार कर आगे बढ़ रही हैं। महिलाओं की सामाजिक और राजनीतिक प्रक्रियाओं में भी भागीदारी बढ़ रही है। आज हमारी पंचायती राज संस्थाओं में निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों की संख्या चौदह लाख से अधिक हो गई हैं।
जो महिला सशक्तिकरण का अनुपम उदाहरण है। हमारे देश की ढेर सारी उम्मीदें हमारी बेटियों से जुड़ी हुई हैं। इन्हें समुचित अवसर दिए जाने पर ये शानदार सफलता हासिल कर सकती हैं। उन्होेंने आगे कहा कि हाल ही में सम्पन्न हुए राष्ट्रमंडल खेलों में बेटियों ने देश का गौरव बढ़ाया है। हमारे खिलाड़ी अन्य अंतर-राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी देश को गौरवान्वित कर रहे हैं। हमारे बहुत से विजेता समाज के वंचित और उपेक्षित वर्ग से आते हैं। हमारी बेटिया हर क्षेत्र में अपना परचम लहरा रही हैं। जो देश और समाज के लिए बदलाव का सूचक है।
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