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इंडिया न्यूज़, नई दिल्ली: बुध (Mercury) ग्रह रविवार 21 अगस्त 2022 से अपनी स्वराशि कन्या में संचरण कर रहे हैं। अब 10 सितंबर को इसी राशि में वक्री होकर 2 अक्टूबर को फिर से मार्गी होंगे। इसके बाद 26 अक्टूबर को तुला राशि में प्रवेश करेंगे।
पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर – जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि बुध ग्रह 10 सितंबर से कन्या राशि में वक्री चाल चलेंगे। फिर 2 अक्टूबर से मार्गी चाल चलेंगे। इसके बाद 26 अक्टूबर को तुला राशि में गोचर करेंगे।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कोई भी ग्रह अपनी उल्टी चाल में उतने अच्छे फल नहीं देता है जितने की वह सीधी चाल में देता है। किसी भी राशि में ग्रह का वक्री होने अच्छा नहीं माना जाता, हालांकि कुंडली में स्थिति के अनुसार यह लाभप्रद भी होता है।
ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि बुध के खराब परिणामों में फैसला लेने की क्षमता न होना, सिर दर्द, त्वचा आदि के रोग हो सकते हैं। अगर आपकी कुंडली में बुध ग्रह अच्छा है। तो आपको वाणी, शिक्षा, शिक्षण, गणित, तर्क में लाभ मिलता है।
वक्री बुध से जीवन पर कई प्रभाव पड़ता है। जातक अकस्मात होने वाले परिवर्तन में कुछ अनचाहे फैसला ले सकता है। यह परिस्थितियों के हिसाब से लिए जाने वाले निर्णय बाद में परेशानी कर सकते हैं। बुध का वक्री होना जातक की बुद्धि, वाणी, अभिव्यक्ति, शिक्षा और साहित्य के प्रति लगाव को प्रभावित करता है।
बुध अपनी दशा व अन्तरदशा में मौलिक चिंतन और सृजनात्मकता में वृद्धि करता है। बुध का वक्री चाल कुछ राशियों के लिए लाभदायक रहेगा। उन्हें इस दौरान अपार सफलता मिलेगी।
कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि बुध ग्रह हमारी जन्म कुंडली में स्थित 12 भावों पर अलग-अलग तरह से प्रभाव डालता है। इन प्रभावों का असर हमारे प्रत्यक्ष जीवन पर पड़ता है। वहीं सप्ताह में इसका दिन बुधवार माना गया है साथ ही इस दिन के और इस ग्रह के कारक देव श्री गणेश जी माने जाते हैं।
बुध ग्रह शुभ ग्रहों (गुरु शुक्र और बली चंद्रमा) के साथ होता है तो यह शुभ फल देता है और क्रूर ग्रहों (मंगल केतु शनि राहु सूर्य) की संगति में अशुभ फल देता है। बुध ग्रह मिथुन और कन्या राशि का स्वामी है। कन्या इसकी उच्च राशि भी है जबकि मीन इसकी नीच राशि मानी जाती है।
27 नक्षत्रों में बुध को अश्लेषा ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्र का स्वामित्व प्राप्त है। हिन्दू ज्योतिष में बुध ग्रह को बुद्धि तर्क संवाद गणित चतुरता और मित्र का कारक माना जाता है। सूर्य और शुक्र बुध के मित्र हैं जबकि चंद्रमा और मंगल इसके शुत्र ग्रह हैं।
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि बुध वक्री होने से मिसकम्युनिकेशन होगा। लोगों के बीच समन्वय का अभाव रहेगा। व्यापार में उतार चढ़ाव होगा। कीमतों में वृद्धि होगी। नर्वस सिस्टम, नसों में दर्द और इंफेक्शन रोग होने की संभावना।
छोटे बच्चों का विशेष ध्यान रखना। रास्ता भूल जाना या भटक जाना जैसी घटनाएं होगी। बैंक से संबंधित कार्य पर सावधानी रखें। नुकसान होने की संभावना। सोच समझकर अपनी वाणी का प्रयोग करें। राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी रहेगा।
कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि बुध से पीड़ित व्यक्ति को मां दुर्गा की आराधना करनी चाहिए। बुधवार के दिन गाय को हरा चारा खिलाना चाहिए और साबूत हरे मूंग का दान करना चाहिए।
बुधवार के दिन गणपति को सिंदुर चढ़ाएं। बुधवार के दिन गणेश जी को दूर्वा चढ़ाएं। दूर्वा की 11 या 21 गांठ चढ़ाने से फल जल्दी मिलता है। पालक का दान करे। बुधवार को कन्या पूजा करके हरी वस्तुओं का दान करे।
आइए विश्वविख्यात भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डॉ अनीष व्यास से जानते हैं कि बुध के वक्री होने से राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
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