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इंडिया न्यूज, New Delhi News। Google Monopoly: इन दिनों Google की मुश्किलें एक बार फिर से बढ़ने लगी हैं। क्योंकि दुनिया भर में एजेंसियो नें इस पर लगाम लगानी शुरू कर दी हैं और इसका एकाधिकार (मोनोपॉली) खत्म करना चाहती हैं। भारत सरकार भी इस दिशा में कदम बढ़ा रही है और गूगल से साइबर स्पेस पर नियंत्रण वापस लेना चाहती है।
हाल ही में यूरोपियन यूनियन (ईयू) कोर्ट की ओर से सर्च इंजन कंपनी को बड़ा झटका लगा है और इसपर 4.12 अरब डॉलर का जुर्माना लगाया गया है। गूगल को दोषी पाया गया कि यह एंड्रॉयड फोन बनाने वाली कंपनियों पर कई तरह की पाबंदियां लगा रही है, जिससे इसके सर्च इंजन को सीधा फायदा मिले।
ईयू और अमेरिकी एजेंसियों की तर्ज पर भारत सरकार भी गूगल के खिलाफ जांच तेज कर रही है। इलेक्ट्रॉनिकी और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने बताया कि ग्लोबल एंटीट्रस्ट ड्राइव में भारत अपनी जिम्मेदारी तय कर रहा है। इस तरह तय किया जाएगा कि डिजिटल स्पेस में किसी एक कंपनी के नियम और मनमानी ना चले।
भारत सरकार की एंटीट्रस्ट वॉचडॉग कॉम्पिटीशन कमेटी ऑफ इंडिया (सीसीआई) भी गूगल के खिलाफ दायर की गई याचिका की जांच कर रही है। यह याचिका डीएनपीए (डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन) की ओर से दर्ज की गई और कहा गया है कि गूगल अपनी कमाई का हिस्सा न्यूज पब्लिशर्स और मीडिया चैनल्स के साथ भी शेयर करे।
देश के बड़े मीडिया संगठनों ने डीएनपीए से जुड़कर मांग की है कि गूगल और दूसरी टेक कंपनियां स्थानीय समाचार उपलब्ध करवाने वाले पब्लिशर्स के साथ अपनी कमाई और लाभ की जानकारी शेयर करें और उन्हें सही हिस्सा दें। बता दें, गूगल और दूसरी कंपनियां कई पब्लिशर्स का कंटेंट और खबरें अपने प्लेटफॉर्म्स पर दिखाती हैं।
अमेरिका में गूगल कई लॉसूट्स का सामना कर रही है, जहां इसपर प्रतिस्पर्धा को प्रभावित करने के आरोप लगे हैं। सामने आया है कि गूगल अपने सर्च इंजन का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए सैमसंग, ऐपल और दूसरी टेलिकॉम कंपनियों को भुगतान कर रही थी।
वहीं, साउथ कोरिया में अल्फाबेट और मेटा दोनों पर कुल 7.1 करोड़ डॉलर का जुर्माना प्राइवेसी को नुकसान पहुंचाने के चलते लगा है। आरोप लगे हैं कि मेटा और गूगल जैसी कंपनियां अपनी प्रतिस्पर्धा खत्म करने के लिए गलत तरीके अपना रही हैं।
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