इंडिया न्यूज, नई दिल्ली, (Kamal Farooqui On Mohan Bhagwat Meets): आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत की हाल ही में कुछ मौलानाओं और मुस्लिम बुद्धिजीवियों से हुए संवाद को बेहतर पहल बताया है। बोर्ड के सदस्य और दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष कमाल फारूकी ने कहा है कि इस संवाद को आरएसएस की मुस्लिम विरोधी छवि को तोड़ने व मुसलमानों के एक तबके को अपने साथ जोड़ने की संघ की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। कमाल फारूकी ने एक साक्षात्कार में यह बात कही।
कमाल फारूकी ने ं कहा, किसी भी समाज के लिए संवाद व बातचीत बहुत अच्छी बात है। उन्होंने कहा, युद्ध में भी संवाद बरकरार रखने के प्रयास किए जाते हैं। एआईएमपीएलबी सदस्य ने कहा, वैसे भी संवाद तो हमारी परंपरा रही है। किसी भी तरह के भ्रम की स्थिति अथवा देश से जुड़ी समस्याओं और मसलों का समाधान परस्पर संवाद से ही होता है। उन्होंने एक अहम बाद यह भी कही संवाद किसके साथ हो रहा है और जिसके साथ भी हो रहा है उसकी क्या अहमियत है, यह भी बहुत मायने रखता है।
कमाल फारूकी ने कहा, मोहन भागवत ने पहल की है और उन्हें हम अपनी तरफ से इसके लिए सहयोग के साथ मुबारकबाद भी देते हैं। उन्होंने कहा, हम चाहते हैं कि यह पहल प्रतीकात्मक न हो। अगर सही में हिन्दू, सिख, ईसाई व मुसलमान को साथ कर सामाजिक सौहार्द की जो एक अपनी संस्कृति है, उसे बरकरार रखने के मकसद से अगर पहल की गई है तो यह अच्छी बात है। लेकिन अगर ऐसा नहीं है तो यह मुस्लिम समुदाय के साथ धोखा है।
मदरसों के सर्वेक्षण के बाद उत्तर प्रदेश की सरकार के अब वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के सर्वेक्षण के सवाल पर एआईएमपीएलबी के सदस्य ने कहा, वक्फ बोर्ड सेंट्रल वक्फ अधिनियम से संचालित होता है। यह बाकायदा मुसलमानों की शरीयत का एक अहम हिस्सा है क्योंकि वक्फ का मतलब यह होता है कि अगर मैंने कोई चीज वक्फ (दान) कर दी तो वह वक्फ की संपत्ति होती है। अगर सरकार की जमीन पर वक्फ कुछ करता है तो कान पकड़ लीजिए लेकिन यदि संपत्ति किसी ने दान दी है तो आपको क्या। ऐसा करके आप साबित क्या करना चाह रहे हैं।
कमाल फारूकी ने यह भी कहा कि भागवत की पहली मुलाकात बहुत अच्छे लोगों से हुई है। इसमें मुस्लिम समुदाय की ओर से इस मुलाकात में ऐसे लोग शामिल थे जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में बेहतरीन काम किया है। इन लोगों ने हमेशा देश के हित को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। मुलाकात में कुछ अच्छे मुद्दे भी उठाए गए जिन पर किसी को कोई आपत्ति नहीं हो सकती। आरएसएस प्रमुख कुछ मौलवियों से भी वह मिले।
जब कमाल फारुकी से पूछा गया कि क्या मुस्लिम समुदाय का आरएसएस अथवा बीजेपी के प्रति दृष्टिकोण बदल रहा है, इस उन्होंने कहा, यह कहना बहुत जल्दबाजी होगा। एआईएमपीएलबी ने कहा, मुझे कभी-कभी ऐसा भी लगता है जो आरएसएस का मुकाम पहले हुआ करता था, उसमें अब कमी आई है। बहरहाल, संवाद की पहल अच्छी है लेकिन इस पहल को जारी रखना होगा। पहल करने का दिखावा नहीं होना चाहिए, अच्छा करते हुए नजर भी आना चाहिए।
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