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Shardiya Navratri 2022: आज नवरात्रि का दूसरा दिन है। नवरात्र के दूसरे दिन मां भगवती के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। नवरात्र में माता के नौ रूपों की नौ दिनों तक पूरे विधि-विधान के साथ पूजा होती है। हर घर और मंदिर में नौ दिनों तक केवल माता के जयकारे सुनाई देते हैं। माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी। उनकी इस कठिन तपस्या की वजह से ही माता को तपश्चारिणी अर्थात् ब्रह्मचारिणी के नाम से जाना जाता है।
मां ब्रह्मचारिणी को तपस्या और उनके त्याग की देवी माना जाता है। मां ब्रह्मचारिणी श्वेत रंग के कपड़े पहनती हैं। वो अपने दांय हाथ में अष्टदल की माला और बांय हाथ में कमंडल लिए हुए हैं। शास्त्रों के अनुसार मां भगवती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए हजार वर्षों तक केवल फलों का और तीन हजार वर्षों तक केवल पेड़ों की पत्तियों का सेवन कर कठोर तपस्या की थी। माता की कठोर तपस्या के बाद उन्हें ब्रह्मचारिणी रूप की प्राप्ती हुई थी। नवरात्रि के दूसरे दिन भक्त अपने मन को मां भगवती के चरणों में एकाग्रचित करके स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित करते हैं और माता का आशिर्वाद पाते हैं। आपको बता दें कि ब्रह्म का अर्थ है तप का आचरण करने वाली भगवती, तपस्या।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा में सबसे पहले अन्य देवी-देवताओं और गणों को कलश में आमंत्रित करें। इस दिन सुबह जल्दी स्नान करके पीले या सफेद वस्त्र धारण करें। फिर मां की उपासना करें। इसके अलावा मां ब्रह्मचारिणी को सफेद चीजें जैसे शक्कर, पंचामृत या मिश्री अर्पित करें। जिसके बाद मां के सामने दीपक जलाकर पूरे मन से उनका ध्यान करें। फिर चंदन, फूल और रोली से मां की पूजा करें। इसके बाद पान सुपारी भेंट करके इनकी प्रदक्षिणा करें। कलश देवता की पूजा के पश्तात मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना करें।
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