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इंडिया न्यूज़ (दिल्ली, know auspicious-time of lakshmi pujan): दिवाली या दीपावली रौशनी और उत्साह का पर्व है। यह त्योहार हर साल कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीराम 14 साल वनवास बीता कर, युद्ध में रावण को मारने के बाद और लंका जीतने के बाद अयोध्या लौटे थे।
एक अन्य मान्यता है कि दिवाली के दिन ही मां लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इस कारण इस दिन लक्ष्मी पूजन भी किया जाता है। जबकि वाल्मीकि रामायण में वर्णित है कि इस दिन भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी का विवाह हुआ था। दिवाली की शाम को उत्तम मुहूर्त में लक्ष्मी-गणेश और भगवान कुबेर की पूजा का विशेष महत्व है।
माँ लक्ष्मी-गणेश का पूजन पोडशोपचार मंत्र से करें, सबसे पहले शरीर शुद्धि व आसान शुद्धि करें। आजमन करने के बाद पूजन स्थल पर गंगलजल छिड़क कर पूजन की चौकी पर आसान देकर लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा स्थापित करें। कलश रख कर उसमें जल, पंचरत्न, दुब, एवं सुपारी डाल कर आम का पता रखे।
उसके ऊपर मौली दागा बांध कर नारियल रखे। देवताओं के आवाह्न के बाद पूजा का संकल्प ले। वस्त्र अर्पित करें। फिर प्रसाद चढ़ा कर और धूप जलाकर भक्ति अर्पित करें।
दिवाली 2022 तिथि और लक्ष्मी पूजन मुहूर्त
कार्तिक अमावस्या तिथि आरंभ: 24 अक्टूबर, 2022 को शाम 05 बजकर 29 मिनट से।
कार्तिक अमावस्या तिथि समाप्त: 25 अक्टूबर 2022 को शाम 04 बजकर 20 मिनट पर।
अमावस्या निशिता काल: 11 बजकर 39 से 00:31 तक।
कार्तिक अमावस्या सिंह लग्न का समय: रात 01:26 से 03:44 बजे।
अभिजीत मुहूर्त का समय: सुबह 11:19 बजे से दोपहर 12:05 बजे तक है।
विजय मुहूर्त आरंभ: 24 अक्टूबर को 01:36 से 02:21 तक।
दिवाली 2022: लक्ष्मी पूजा का समय और मुहूर्त
लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त: 18:54 से 20:16 मिनट तक
पूजा अवधि: 1 घंटा 21 मिनट
प्रदोष काल: 17:43 से 20:16 मिनट तक
वृषभ काल: 18:54 से 20:50 मिनट तक
दिवाली 2022 महानिशिता काल मुहूर्त
लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त: 23:40 से 24:31 मिनट तक
पूजा अवधि: 0 घंटे 50 मिनट
महानिशीथ काल: 23:40 से 24:31 मिनट तक
सिंह काल: 25:26:25 से 27:44:05 तक
दीपावली शुभ चौघड़िया मुहूर्त
संध्या मुहूर्त (अमृत, चर): 17:29 से 19:18 मिनट तक
रात्रि मुहूर्त (लाभ): 22:29 से 24:05 मिन तक
रात्रि मुहूर्त (शुभ, अमृत,चल): 25:41:06 से 30:27:51
लक्ष्मी पूजन मंत्र
. ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभयो नमः॥
. ॐ श्रीं श्रीयै नम:
. ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः॥
. ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
मां लक्ष्मीजी की आरती
ऊं जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता।।
तुमको निशदिन सेवत,हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
उमा,रमा,ब्रह्माणी,तुम ही जग-माता।
मैया तुम ही जग-माता।।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत,नारद ऋषि गाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
दुर्गा रूप निरंजनी,सुख सम्पत्ति दाता।
मैया सुख संपत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत,ऋद्धि-सिद्धि धन पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।
मैया तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
मैया सब सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
मैया वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
मैया क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई नर गाता।
मैया जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
ऊं जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता।
ऊं जय लक्ष्मी माता।।
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