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(इंडिया न्यूज़, Interesting story related to Jawaharlal Nehru): आज बाल दिवस है और यह दिन हम बचपन से जानते हैं कि हमारे देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन के अवसर पर बाल दिवस मनाया जाता है।
आपको बता दें, पंडित नेहरू का मध्यप्रदेश से बहुत गहरा नाता था, मध्यप्रदेश को बनाने में उनकी बहुत बड़ी भूमिका थी और यहां तक कि मध्यप्रदेश का नाम भी उन्होंने ही दिया था तो चलिए आज उनके जन्मदिन पर हम आपको चंबल से जुड़ा एक किस्सा बताते हैं।
नेहरू जी 1940 के दशक में चंबल से रहे थे गुजर
साल 1937 में अंग्रेज सरकार भारतीयों को प्रांतीय शासन के प्रबंध का अधिकार देने के लिए तैयार हो गई थी। जिसके चलते पहली बार देश में चुनाव होने वाले थे। चुनाव से पहले नेहरू जी संयुक्त प्रांत, मध्य प्रांत के दौरे पर थे। 1940 के दशक में चंबल में डाकुओं का बहुत ज्यादा खौफ था और इसी खौफ के बीज शाम को नेहरू जी चंबल के बीहड़ इलाके से जा रहे थे। नेहरू जी की जीप बागियों के गढ़ यानी चंबल से गुजर रही थी। तभी 8-10 लोगों ने नेहरु जी की कार के पास आ गए. जाहिर सी बात है कि नेहरू जी 1940 के दशक में जीप से चल रहे थे तो डाकुओं को लगा होगा कि यह बहुत अमीर सेठ है।
इन लोगों को देखकर नेहरू जी ने कार को रोकना का इशारा किया। तभी झाड़ियों से एक आवाज आई,’को है रे … मौड़ाओं? ‘(कौन है लड़कों?)’. झाड़ियों से आवाज देकर बोलने वाला व्यक्ति इन 8-10 लोगों का सरदार था। इन लोगों ने अपने सरदार के सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘है कोऊ सेठिया’ ( कोई सेठ लगता है)। जिसके बाद इन झाड़ियों के बीच से 6 फीट का एक आदमी निकला।
नेहरू जी जीप से उतरे
इसके तुरंत बाद नेहरू जी जीप से उतरे और सरदार के पास गए और बोले- ‘हां कहो मैं जवाहर लाल हूं’. इसके बाद नेहरू जी ने कहा, ‘जल्दी बताओ क्या है? क्योंकि मुझे बहुत दूर जाना है’। नेहरू जी को देखने के बाद सरदार ने उनसे कहा कि मैंने आपका नाम बहुत सुना था और आज आपको देख भी लिया। बता दें कि इसके बाद सरदार ने अपनी जेब से मुट्ठी भर नोट निकालकर नेहरू जी के सामने फैला दिए और कहा कि इसे मेरी तरफ से छोटी सी भेंट समझकर रख लीजिए।
बता दें कि सरदार और नेहरू जी की इस मुलाकात के बाद चंबल के आसपास के गांवों में यह कहानी गूंजने लगी कि नेहरू जी बागियों से मिलने आए थे और उन्होंने वादा किया है कि देश को जल्द आजादी मिलेगी.
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