इंडिया न्यूज़ विशेष:– गुजरात चुनाव की तारीख करीब आ रही है, देश की अलग अलग राजनीतिक पार्टी अलग अलग मुद्द्दों को भुनाने में लगी हुई है कुछ इस वजह से की जनता का दिल जीता जाए तो कुछ पार्टियां ये कोशिश कर रही हैं कि इन मुद्दों को भुना कर दूसरी पार्टी का नुकसान हो.
गुजरात में गांधी परिवार से बहुत लम्बे समय तक कोई नहीं पहुंचा लेकिन हाल ही में राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा को बीच में रोकी और पहुँच गए गुजरात की जनता को सत्ता पक्ष के वो काम गिनाने जिससे जनता को ठेस पहुंची, भाजपा के दिग्गज नेता पहले से ही गुजरात के मैदान में अच्छी तरह से उतर चुके थे, विपक्षी दलों पर जमकर निशाना साधा गया.
गुजरात में पहले भाजपा बनाम कांग्रेस चुनाव हुआ करता था लेकिन जबसे दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी ने जीत हासिल की तबसे ये पार्टी हर राज्य में कॉन्फिडेंस के साथ उतरने लगी. अब गुजरात में भी जीत के दावे अरविन्द केजरीवाल करते रहे हैं. जिस निकाय चुनाव में कांग्रेस का खाता नहीं खुला उस निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी का अच्छा प्रदर्शन था ऐसे में उम्मीद और बढ़ गयी, और अब ये चुनाव भाजपा, कांग्रेस और आप बन गया.
आगामी 1 और 5 दिसम्बर को गुजरात में चुनाव होने हैं. 8 दिसम्बर को नतीजे आएंगे। नेताओं के एक दूसरे पर खूब जुबानी हमला किया है. गुजरात में चुनावी अभियान को धार देने उतरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दो दिनों में दो चुनावी रैलियों में राहुल गांधी और नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर पर निशाना साधा।
मेधा पाटकर महाराष्ट्र में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुई थीं. कांग्रेस ने राहुल के साथ उनकी तस्वीरें ट्वीट की थीं.इन तस्वीरों के सामने आने के साथ ही गुजरात में चुनाव प्रचार कर रहे पीएम नरेंद्र मोदी ने 20 नवंबर को राजकोट ज़िले के धोराजी की चुनावी रैली में कांग्रेस पर हमला किया.उन्होंने कहा, ”कांग्रेस के नेता एक ऐसी महिला के साथ पदयात्रा निकाल रहे हैं जिन्होंने तीन दशक तक नर्मदा डैम प्रोजेक्ट को रोक रखा था. भरी जनता से पूछा कि आप सोचिए कि नर्मदा डैम नहीं बना होता तो आज क्या होता.”इसे लेकर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भी कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा,” मेधा पाटकर को अपनी यात्रा में प्रमुख जगह देकर राहुल गांधी ने एक बार फिर गुजरात और गुजरातियों के प्रति अपनी दुश्मनी दिखाई है. उन्होंने कहा, ”वो उन तत्वों के साथ खड़े हैं जिन्होंने दशकों तक गुजरातियों को पानी से वंचित रखा. गुजरात इसे बर्दाश्त नहीं करेगा.
पीएम मोदी और बीजेपी के नेताओं के लिए इस तरह का हमला करना इसलिए आसान बन गया है क्योंकि नर्मदा घाटी परियोजना के तहत बनने वाले सरदार सरोवर बांध के निर्माण के खिलाफ मेधा पाटकर ने लगभग साढ़े तीन दशक से भी ज्यादा वक्त तक आंदोलन चलाया था. की वजह से कई लोगों को भारी नुकसान भी उठाना पड़ा. अदालत में लम्बी लड़ाई चली जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बांध बनाने की इजाजत दी और अब इसके पानी और बिजली का लाभ गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश को मिल रहा है.बांध बनने से बहुत से लोग बेघर हुए हैं इनमे से ज्यादातर आदिवासी और किसान हैं.
मेधा पाटकर और उनके आंदोलन की वजह से वर्ल्ड बैंक ने 1993 में इस बांध के लिए फंडिंग रोक दी थी. आपको बता दें कि वर्ल्ड बैंक ने इसके लिए 45 लाख डॉलर देने का एलान किया था.इसे बांध विरोधियों की एक बड़ी जीत माना गया था और मेधा पाटकर तभी से गुजरात में इस बांध की समर्थक सरकारों की आँखों में चुभने लगीं. इसमें कांग्रेस और बीजेपी दोनों सरकारें शामिल थीं.
अब गुजरात चुनाव में अलग अलग मुद्दों के साथ इसे भी भुनाया जा रहा है. सवाल ये है कि क्या बीजेपी के पास मुद्दों की कमी हो गई है जो अब मेधा पाटकर को इसमें शामिल किया जा रहा है.विपक्षी दलों के पास ढेरों मुद्दे हैं लेकिन सरकार अपना पक्ष रखने के लिए पुरानी पुरानी बातों को सामने ला रही है.आगे स्थिति तो 8 दिसम्बर को साफ़ हो जायेगी किसके मुद्दे सही साबित होंगे किसे जनता पसंद करेगी ये सब 8 दिसम्बर को हमारे और आप सभी के सामने होगा
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