इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : कोरोना की उत्पत्ति को लेकर अब तक तरह-तरह के दावे किए जाते रहे हैं। कई इसे जीव-जनित बताते हैं तो कई लोगों का मानना है कि यह चीन स्थित वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (WIV) से लीक हुआ था। अब इस दावे को एकऔर बल मिल रहा है। चीन के वुहान लैब में काम कर चुके एक वैज्ञानिक ने इस संदर्भ में एक अहम खुलासा किया है।
जानकारी दें, अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थान ‘द सन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन स्थित ‘वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी’ में काम करने वाले वैज्ञानिक एंड्रयू हफ का दावा है कि कोविड-19 एक मानव निर्मित वायरस है, जो WIV से लीक हो गया था।
Scientist who worked at Wuhan lab makes startling revelation; says COVID was man-made virus
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#Wuhan #COVID19 pic.twitter.com/XwTT2NRIGC— ANI Digital (@ani_digital) December 5, 2022
एंड्रयू हफ ने वायरस का अध्ययन करने वाले न्यूयॉर्क स्थित एक गैर-लाभकारी संस्था के लिए भी काम किया है। उन्होंने कहा कि कोविड को ढाई साल से पहले चीन में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से लीक किया गया। हफ ने इसे 9/11 के बाद की सबसे बड़ी अमेरिकी खुफिया विफलता बताया और इसके लिए अधिकारियों को दोषी ठहराया।
ज्ञात हो, चीन का यह प्रयोगशाला कोविड की उत्पत्ति के बारे में बहस के केंद्र रहा है। हालाँकि, चीन के सरकारी अधिकारियों और प्रयोगशाला कर्मियों ने हमेशा इससे इनकार किया है कि वायरस लैब से लीक हुआ था। महामारी वैज्ञानिक हफ ने अपनी नई पुस्तक ‘द ट्रूथ अबाउट वुहान’ में कहा कि चीन में कोरोना वायरस अमेरिकी सरकार के वित्त पोषण का परिणाम था। उन्होंने कहा कि चीन में एक्सपेरिमेंट को LAX सुरक्षा के साथ किया गया, जिसके कारण वुहान लैब में लीक हुआ। ‘लॉस एंजिल्स एयरपोर्ट सिक्योरिटी (LAX सुरक्षा)’ लॉस एंजिल्स एयरपोर्ट पुलिस का एक प्रभाग है।
उन्होंने अपनी पुस्तक में कहा, “विदेशी प्रयोगशालाओं में बायो-सेफ्टी (खतरनाक रोगाणुओं से निपटने के उपाय), बायो-सिक्योरिटी (वायरस के प्रसार को रोकना) और को सुनिश्चित करने और जोखिम प्रबंधन के लिए जरूरी तैयारियाँ नहीं की गई थीं। अंततः यही चीजें WIV से वायरस लीक होने का कारण बनीं। पिछले दो वर्षों में लगातार ऐसे सबूत सामने आए हैं जिससे पता चलता है कि वायरस लैब से लीक हो गया था।
जानकारी दें, हफ ‘इकोहेल्थ एलायंस’ के एक पूर्व उपाध्यक्ष हैं, जो न्यूयॉर्क स्थित एक गैर-लाभकारी समूह है। ये अमेरिका के ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH)’ के साथ एक दशक से अधिक समय से चमगादड़ों में अलग-अलग कोरोना वायरस का अध्ययन कर रहा है और इस संस्था ने वुहान लैब से भी घनिष्ठ संबंध बनाए थे।
वैज्ञानिक हफ ने लिखा है की “चीन पहले दिन से यह जानता था कि कोरोना वायरस को जेनेटिक इंजीनियरिंग के माध्यम से बनाया गया था। इसका जिम्मेदार अमेरिका को ठहराया जाना चाहिए, क्योंकि बायोटेक्नोलॉजी की ये तकनीक उसी ने चीन को दी थी।” बता दें कि ‘जेनेटिक इंजिनयरिंग’ के माध्यम से किसी जीव के जीन्स में छेड़छाड़ कर के उसके स्वभाव को बदला जा सकता है।
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