इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) :आज से करीब 51 साल पहले पश्चिमी पाकिस्तान (वर्तमान पाकिस्तान) के लगातार अत्याचारों से मुक्ति पाने के लिए 26 मार्च 1971 को पूर्वी पाकिस्तान(वर्तमान बांग्लादेश) ने आधिकारिक तौर पर अपने आजाद होने की घोषणा की। उस समय बांग्लादेश को इस बात का अंदाजा बिल्कुल भी नहीं था कि इस घोषणा से पाकिस्तान कैसे बौखला उठेगा? पाकिस्तान जोकि आजादी के बाद से ही बांग्लादेश पर दबाव और तानाशाही करते हुए आ रहा था उसने इस घोषणा के बाद अपनी तानाशाही को और अधिक बढ़ा दिया। पड़ोसी देश के साथ हो रहे इन अत्याचारों को रोकने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में पूर्ण समर्थन देने का वादा किया। भारत ने अपनी सेनाओं को आदेश दिया कि वे पाकिस्तानी सेनाओं को बांग्लादेश से खदेड़ दें। इसके बाद 1971 में एक बड़ा युद्ध लड़ा गया। इस युद्ध में पाकिस्तान पर भारतीय सशस्त्र बलों की जीत हुई।
16 दिसंबर 1971 को पूर्वी पाकिस्तान की आजादी और बांग्लादेश का नए राष्ट्र के रूप में निर्माण हुआ। इस युद्ध में इस युद्ध में करीब 8,000 पाकिस्तानी सैनिकों की मौत हुई थी। जिसके बाद भारतीय सेनाओं के आगे घुटने टेकते हुए साल 1971 में पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल नियाजी ने अपने 93,000 सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया था। इस युद्ध में लगभग 2,908 भारतीय सैनिक अपने शौर्य का परिचय देते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे। इन भारतीय वीर जवानों की शहादत को श्रद्धांजलि देने के लिए ही 16 दिसंबर को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है। जानकारी दें, बांग्लादेश में विजय दिवस को‘Bijoy Dibosh’ या बांग्लादेश मुक्ति दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, जो पाकिस्तान से लड़कर जीती गई बांग्लादेश की आधिकारिक स्वतंत्रता का प्रतीक भी है।
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