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इंडिया न्यूज़ (दिल्ली, Kartik sharma question about digital media in rajysabha): हरियाणा से राज्यसभा के सांसद कार्तिक शर्मा ने डिजिटल मीडिया को रेगुलेट करने से संबंधित मुद्दा राज्यसभा में उठाया। अपने लिखित जवाब में सांसद श्री शर्मा ने पूछा की-
1 .डिजिटल मीडिया को विनियमित करने से लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमो का ब्यौरा क्या है?
2. क्या डिजिटल मीडिया को विनियमित करने के लिए कानून बनाने का कोई प्रस्ताव है? यदि हां तो इसका ब्यौरा क्या है?
3.राष्ट्रीय हितों के खिलाफ सोशल मीडिया के उपयोग को रोकने के लिए उठाए गए कदमों का ब्यौरा क्या है?
कार्तिक शर्मा के प्रशनों का उत्तर, इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने दिया।
इंटरनेट को खुला, सुरक्षित और विश्वसनीय बनाने के उद्देश्य को प्राप्त करने में मदद करने के लिए और सोशल मीडिया मध्यस्थों को विनियमित करने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 द्वारा प्रदान शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियामवली, 2021 को बनाया है ।
ये नियम बिचौलियों पर समुचित सावधानी का पालन करने के लिए विशिष्ट दायित्व डालते है और यह प्रावधान करते है की यदि वह इस तरफ की अपेक्षित सावधनी का पालन करने में विफल रहते है तो वे अब तृतीय -पक्ष की जानकारी या डेटा या उनके द्वारा होस्ट किया गए संचार लिंक के लिए कानून के तहत अपने दायित्व से मुक्त नही होंगे।
1. उक्त नियमों को अपने उपयोगकर्ताओं को सूचित करना है की मध्यस्थ डिजिटल मीडिया द्वारा प्रकाशित जानकरी सहित जानकारियों या भारत की एकता, अखंडता, रक्षा, सुरक्षा, या संप्रभुता या सार्वजनिक व्यवस्था को खतरे में डालने वाली या जांच को रोकने वाली या किसी कानून का उल्लंघन करने वाली अन्य उपयोगकर्ताओं द्वारा साझा की गई ऐसी किसी जानकारी को उपयोगकर्ताओं द्वारा मंच पर होस्ट, प्रदर्शन, अपलोड, संशोधित, प्रकाशित, संचारित, स्टोर, अपडेटम या साझा नही करने के लिए उचित प्रयास किया जाए।
2. अदालत द्वारा आदेश के रूप में वास्तविक जानकारी प्राप्त होने या आईटी अधिनियम के प्रावधानों के तहत सरकार द्वारा अधिसूचित किये जाने पर किसी भी जानकारी को होस्ट, स्टोर या प्रकाशित नही करना, जिसमें मध्यस्थ मंच पर डिजिटल मीडिया द्वारा प्रकाशित जानकारी या अन्य उपयोगकर्ताओं द्वारा साझा की गई ऐसी जानकरी शामिल है जो भारत की संप्रभुता और अंखडता, राज्य की सुरक्षा, सार्वजनिक आदेश, अदालत की अवमानना आदि के सम्बन्ध में कानून द्वारा निषिद्ध है।
3. कानून रूप से अधिकृत सरकारी एजेंसी के आदेश प्राप्त होने पर, कानून के तहत रोकथाम, पता लगाने ,जांच या अभियोजन या साइबर सुरक्षा घटनाओं के लिए जानकारी या सहायता प्रदान करना।
4. एक शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना और नियमों के उल्लंगन की शिकायतों को रिपोर्ट किए जाने के 72 घंटो के भीतर हल करना।
5. यदि कोई मध्यस्थ एक महत्वपूर्ण सोशल मीडिया माध्यस्थ है (मतलब, एक माध्यस्थ जिसके भारत में 50 लाख से अधिक ग्राहक है), कानून प्रवर्तन एजेंसियो के साथ 24 घंटे समन्वय के लिए एक मुख्य अनुपालन अधिकारी, एक नोडल संपर्क व्यक्ति और मासिक अनुपालन रिपोर्ट आदि प्रकाशित करने वाले एक स्थानीय शिकायत अधिकारी नियुक्त करने के मामले में अतिरिक्त अपेक्षित सावधानी बरतना।
मंत्री जी ने यह भी बताया की डिजिटल मीडिया को विनियमित करने के लिए एक अलग कानून बनाने का कोई प्रस्ताव वर्त्तमान में सरकार के पास विचाराधीन नही है।
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