इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार की जिम्मेदारी देश से जुड़ी हर महत्वपूर्ण घटनाओं का रिकॉर्ड अपने पास रखने की होती है। हालाँकि, आपको जानकार आश्चर्य होगा कि राष्ट्रीय अभिलेखागार के पास देश में लड़े गए तीन प्रमुख युद्धों और हरित क्रांति से जुड़े रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं हैं। यह जानकारी NAI के डायरेक्टर जनरल चंदन सिन्हा ने दी है।
चंदन सिन्हा ने बताया कि NAI के पास 1962, 1965 और 1971 के युद्धों के साथ-साथ हरित क्रांति से संबंधित रिकॉर्ड नहीं हैं। उन्होंने बताया कि कई केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों ने इन घटनाओं विवरण और रिकॉर्ड NAI के साथ साझा नहीं किया है। सिन्हा ने शुक्रवार (23 दिसंबर, 2022) को दिल्ली में प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग द्वारा सुशासन पर आयोजित कार्यशाला में यह टिप्पणी की।
जानकारी दें, 1962 का युद्ध चीन के साथ और 1965 का युद्ध पाकिस्तान से साथ लड़ा गया था। वहीं 1971 का ऐतिहासिक युद्ध भी पाकिस्तान के साथ लड़ा गया था। इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना की अपमानजनक हार हुई थी और विश्व पटल पर एक नए राष्ट्र बांग्लादेश का निर्माण हुआ था। वहीं 1960 के दशक में नॉर्मन बोरलॉग ने हरित क्रांति की शुरुआत की थी। इसका उद्देश्य प्रति हेक्टेयर अनाजों का उत्पादन बढ़ाना और देश को कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना था।
सिन्हा ने बताया कि NAI केवल भारत सरकार और उसके संगठनों के रिकॉर्ड रखता है और उन्हें संरक्षित करता है। NAI को वर्गीकृत दस्तावेज नहीं दिया जाता है। सिन्हा ने कहा कि कुल 151 मंत्रालय और विभाग में से NAI के पास 36 मंत्रालयों और विभागों सहित केवल 64 एजेंसियों के रिकॉर्ड हैं। सिन्हा ने कहा, “सरकार के रिकॉर्ड का सही तरीके से प्रबंधन करना सुशासन का एक जरूरी पहलू है। कई मंत्रालय हैं जिन्होंने आजादी के बाद से NAI के साथ अपने रिकॉर्ड साझा नहीं किए हैं। इसका मतलब है कि भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार में हरित क्रांति का कोई रिकॉर्ड नहीं है, जिसकी हम हमेशा गुणगान करते हैं। साथ ही 1962, 1965 और 1971 के ऐतिहासिक युद्ध के रिकॉर्ड भी नहीं है।”
सिन्हा ने आगे कहा कि ये इस तरह की घटनाएँ हैं, जिसके बारे में हर भारतीय को जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने अफ़सोस जताते हुए कहा कि लेकिन सरकार ने इन घटनाओं का दस्तावेजीकरण सही ढंग से नहीं किया। उन्होंने कहा कि मुझे यह बताते हुए बहुत दुःख हो रहा है कि हम अपने इतिहास को सहेज कर नहीं रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक बड़ा प्रश्न हमारे सामने यह है कि क्या हम अपने इतिहास को न सहेज कर देश का नुकसान कर रहे हैं।
वहीं उन्होंने बताया कि रक्षा मंत्रालय ने आज़ादी के बाद इस साल की शुरुआत में 426 फ़ाइल भेजी थी। वहीं इस वर्ष 1960 तक की 20 हजार फाइलों को ट्रांसफर किया गया है।। सिन्हा ने साथ ही सुझाव देते हुए बताया कि फाइलों की छाँटने के लिए किसी विशेष अभियान की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए, बल्कि यह कार्य हर तिमाही में किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अभिलेख को किसी भी हाल में नष्ट नहीं किया जाना चाहिए। ऐसा करने पर 1 साल की सजा का प्रावधान है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.