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इंडिया न्यूज़ (KERALA: HIGH COURT OF KERALA): केरल हाईकोर्ट ने कहा है कि असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण संविदा कर्मचारियों को बिना नोटिस दिए नहीं हटाया जा सकता है। कर्मचारियों को नौकरी से निकासने से पहले नोटिस देना पड़ेगा साथ ही उसका कारण भी बताना होना। हाईकोर्ट ने वायनाड जिले के मनंथवाडी में आयुष एनएचएम होमियो डिस्पेंसरी में अटेंडर और पार्ट-टाइम स्वीपर के रूप में काम करने वाले दो कर्मियों की सेवा से बर्खास्तगी के आदेश को रद्द करते हुए यह फैसला सुनाया।
विभाग ने दोनों संविदा कर्मियों के अनुबंधों को खत्म कर दिया था। विभाग ने हवाला दिया था कि उनका काम संतोषजनक नहीं था। इसके बाद दोनों संविदा कर्मियों ने हाईकोर्ट में उनके निष्कासन को चुनौती दी थी। याचिकार्ताओं की दलीलों को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि भले ही याचिकाकर्ता संविदा कर्मचारी थे, नौकरी से हटाने के पहले वे इसके संबंध में नोटिस के हकदार थे।
अदालत ने कहा कि यहां तक कि अगर प्रतिवादियों का तर्क यह है कि चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी याचिकाकर्ताओं को नियुक्त नहीं किया गया था, फिर भी उन्हें बिना किसी सूचना के असंतोषजनक प्रदर्शन के विशिष्ट आधार पर सेवा से बर्खास्त करना उचित नहीं है।
इस टिप्पणी के साथ अदालत ने केरल सरकार के शहरी मामलों के विभाग के जुलाई 2022 के आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें दोनों याचिकाकर्ताओं की सेवाएं समाप्त कर दी गई थीं। साथ ही हाईकोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे याचिकाकर्ताओं को नगर पालिका में संविदा कर्मचारियों के रूप में सेवा जारी रखने की अनुमति दें।
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