इंडिया न्यूज़(Bihar): बिहार में जातिगत जनगणना का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले की सुनवाई 13 जनवरी को होगी. यह याचिका एक सामाजिक कार्यकर्ता अखिलेश कुमार के द्वारा दायर की गई थी.
इस याचिका में याचिकाकर्ता अखिलेश कुमार अपने अधिवक्ता बरुन कुमार सिन्हा और अभिषेक के माध्यम से मुख्य रूप से कहा है कि जातिगत जनगणना कराने का बिहार राज्य का फैसला मनमाना, अवैध, तर्कहीन और असंवैधानिक है. इसलिए इस पर रोक लगे.
Supreme Court agrees to give urgent hearing to plea challenging Caste Census in Bihar
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— ANI Digital (@ani_digital) January 11, 2023
आपको बता दें कि जाति आधारित जनगणना बिहार सरकार के एजेंडे में शामिल है. दरअसल, राज्य में जातिगत जनगणना कराने के लिए बिहार सरकार ने 6 जनवरी, 2022 को एक अधिसूचना जारी किया था. इसी को रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है.
जातिगत जनगणना जेडीयू मुखिया और बिहार के सीएम नीतीश कुमार की वर्षों से मांग रही है. जब वे बिहार में बीजेपी के साथ गठवंधन में थे तब भी वे इसकी मांग कर रहे थे. बिहार में 7 जनवरी यानि शनिवार से जाति आधारित गणना के पहले चरण का काम शुरू हुआ था. इस जनगणना में करीब 5.18 लाख से अधिक कर्मी 2 करोड़ 58 लाख 90 हजार 497 परिवारों तक पहुंचने थे. पहले चरण में 7 से 21 जनवरी तक सभी आवासीय परिसर की गिनती होनी थी.
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