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ओली की तरह चीन की गोद में बैठ गए नेपाल के नए पीएम 'प्रचंड', लिपुलेख-कालापानी को बताया अपना हिस्सा

Ashish kumar Rai • LAST UPDATED : January 11, 2023, 4:34 pm IST
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ओली की तरह चीन की गोद में बैठ गए नेपाल के नए पीएम 'प्रचंड', लिपुलेख-कालापानी को बताया अपना हिस्सा

इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : भारत और नेपाल के रिश्ते रोटी-बेटी वाले रहे हैं। पीएम मोदी कई मौकों पर दोनों देशों के बीच भावनात्मक रिश्तों की दुहाई दे चुके हैं। 25 दिसबंर को पुष्प कमल दहल प्रचंड तीसरी बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने हैं। प्रतिनिधि सभा में कुल 270 सांसद मौजूद थे और इनमें से 268 ने प्रचंड के समर्थन में वोट मिला। केवल दो सांसदों ने प्रचंड के खिलाफ वोट किया था प्रचंड को लेकर ऐसा माना जाता है कि इनका झुकाव चीन की तरफ ज्यादा रहता है। इसी वजह से भारत के खिलाफ टिप्पणियां करते रहते हैं।

भारत के उत्तराखंड राज्य में लिम्पियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख स्थित है। साल 2019 और साल 2020 के राजनीतिक मैप में भारत अपनी सीमा के अंदर बता चुका है। इस मुद्दे पर उस समय नेपाल और भारत के बीच काफी विवाद भी देखने को मिला था। जानकारी दें, ओली के बाद अब प्रचंड की नई सरकार ने फिर से ये राग छेड़ दिया है। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में नेपाल सरकार के कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत जारी एक डॉक्यूमेंट में इस बात का खुलासा हुआ है।

 कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा पर भारत का अवैध कब्जा बताया

जानकारी दें, नेपाल की सत्ताधारी पुष्प कमल दहल सरकार ने इस डाक्युमेंट में कहा है कि वो भारत ने कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा इलाकों पर अतिक्रमण किया है और नई सरकार इन इलाकों को वापस लेने की पूरी कोशिश करेगी। कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत नेपाल सरकार का लक्ष्य क्षेत्रीय अखंडता, संप्रभुता और स्वतंत्रता को मजबूत करना है। यहां तक तो बात सही है मगर सबसे हैरानी की बात यह है कि इस प्रोग्राम के तहत चीन का सीमा से जुड़े किसी विवाद को लेकर उसमें जिक्र तक नहीं है।

प्रचंड सरकार ने हासिल किया विश्वासमत

आपको बता दें, इस डॉक्यूमेंट में एक पॉइंट पर जरूर जोर दिया गया है। जिसमें लिखा है कि नेपाल सरकार भारत और चीन दोनों पड़ोसी देशों से संतुलित राजनयिक संबंध चाहती है। वहीं डॉक्यूमेंट में यह भी कहा गया है कि नेपाल की दहल सरकार ‘सबसे दोस्ती और किसी से दुश्मनी नहीं’ वाले मंत्र के साथ आगे बढ़ेगी। मालूम हो , नेपाल के नवनियुक्त प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने मंगलवार को प्रतिनिधि सभा में विश्वास मत हासिल कर लिया है। सात दलों के उनके गठबंधन सहित विपक्ष की ओर से भी लगभग सभी लोगों ने आमसहमति से प्रचंड का समर्थन किया।

प्रचंड तीसरी बार नेपाल के पीएम बने

जानकारी दें, सीपीएन-माओवादी सेंटर के 68 वर्षीय नेता प्रचंड ने पिछले साल 26 दिसंबर को तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी। उस समय, उन्होंने नाटकीय ढंग से नेपाली कांग्रेस नीत चुनाव-पूर्व गठबंधन से नाता तोड़कर विपक्ष के नेता के. पी. शर्मा ओली से हाथ मिला लिया था। इससे पहले दिन में संसद के निचले सदन में अपने भाषण में प्रचंड ने कहा था कि वह नकारात्मक, असम्मान और प्रतिशोध की राजनीति के बजाय आम सहमति, सहयोग और आपसी विश्वास की राजनीति को आगे बढ़ाना चाहते हैं।

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