धार, एमपी। हाल के एक कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह(Shivraj Singh Chouhan) चौहान ने कहा है कि अंग्रेजी का बुद्धि से कोई संबंध नहीं है, इसलिए मैंने तय किया कि एमपी में मेडिकल और इंजीनियरिंग की शिक्षा हिंदी में दी जाएगी ताकि अंग्रेजी न जानने वाले गरीब किसानों और मजदूरों के बच्चे भी डॉक्टर और इंजीनियर बन सकें। मध्यप्रदेश पहला ऐसा राज्य बना है जहां हिन्दी में मेडिकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई उपलब्ध हो पाई है।
आगे उन्होंने कहा ”हममें से बहुत से ऐसे बहुत से लोग है जो बहुत अच्छी अंग्रेजी नहीं जानते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमारे पास बुद्धि नहीं है। अंग्रेजी कोई बुद्धि का पर्याय नहीं है। हर कोई अपनी मातृभाषा में सोचता है और बेहतर करता है।”
शिवराज सिंह चौहान के इस बयान पर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लोगों की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। एक यूजर ने लिखा कि इनका बेटा विदेश में अंग्रेजी में पढ़ेगा लेकिन मध्यप्रदेश का युवा मेडिकल और इंजीनियरिंग हिन्दी में करेगा। ये बेरोजगारी बढ़ाने वाला कदम है। हिंदी में इंजीनियरिंग करने वाले को किसी भी अच्छी कंपनी में नौकरी नहीं मिलेगी, मिल भी गई तो पद और वेतन अच्छा नहीं मिलेगा।
एक अन्य यूजर्स ने लिखा कि ये वही सीएम हैं जिनका बेटा कुछ दिन पहले विदेश में डिग्री लिया था, वह भी अंग्रेजों के यहां अंग्रेजी में पढ़ाई करके, तब इन्होने गर्व से ट्विटर पर ट्वीट किया था। बता दें कि सीएम शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान अमेरिका में पढ़ाई कर डिग्री प्राप्त की है। जिसका तस्वीर सीएम ने अपने ट्वीटर हैंडल से ट्वीट किया था।
गौरलतब है कि 16 अक्टूबर को भोपाल में एमबीबीएस की हिंदी किताबों का विमोचन केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के द्वारा किया गया था। जिसके बाद से वहां की विश्वविद्यालयो में हिन्दी में मेडिकल की पढ़ाई शुरू हुई है। विमोचन के मौके पर सीएम शिवराज सिंह चौहान सहित भोपाल विश्वविद्यालय के कुलपति मौजूद रहे। सीएम ने इसे क्रांतिकारी कदम बताया है।
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