इंडिया न्यूज़ (Supreme court): मध्य प्रदेश के इंदौर में स्थित सरकारी लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल की अग्रिम जमानत पर विरोध जताने के लिए शिवराज सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई, जिसके बाद शिवराज सरकार पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ बिफर गए। उनका सवाल था कि क्या लाईब्रेरी में मिली किताब का विवाद इतना जटिल है कि सरकार प्रिंसिपल की जमानत के विरोध में सुप्रीम कोर्ट तक आ गई। सीजेआई की बेंच प्रिंसिपल डॉ. इनामुर रहमान (जो इस्तीफा दे चुके हैं।) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
रहमान की मांग पर 16 दिसंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा रहमान की अरेस्ट पर रोक लगाई गई थी। हालांकि इससे पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट उन्हें राहत देने से इन्कार कर चुका था। रहमान के खिलाफ सरकार की तरफ से केस दर्ज कराया गया था। जिसके बाद पुलिस उन्हें गिरफ्तार करना चाहती थी, लेकिन रहमान ने हाईकोर्ट की शरण ली पर राहत नहीं मिली। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने रहमान की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी।
सीजेआई ने पूछा कि लाईब्रेरी में मिली एक सांप्रदायिक किताब को लेकर सरकार इतनी उतावली क्यों है। 2014 में ये किताब खरीदी गई थी। सीजेआई का कहना था कि सरकार को गंभीर होना चाहिए। ये मसला इतना बड़ा नहीं है। सरकार की तरफ से पेश वकील की दलील थी कि किताब सांप्रदायिक है। प्रिंसिपल इसमें लिखी बातें छात्रों को बता रहे थे।
एलएलएम के एक छात्र ने किताब Collective Violence And Criminal Justice System को लेकर केस दर्ज कराया था। इस किताब को डॉ. फरहत खान ने लिखा है और अमर लॉ पब्लिकेशन ने इसे प्रकाशित किया है। आरोप है कि किताब सांप्रदायिक है। इसकी वजह से कॉलेज का माहौल बिगड़ रहा है। आरोपी प्रिंसिपल का कहना था कि जब 2014 में ये किताब खरीदी गई तब वो प्रिंसिपल नहीं बल्कि लेक्चरर थे।
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