इंडिया न्यूज: यूं तो दुनियाभर में काफी तरह के खेल खेले जाते हैं, कुछ अतरंगी तो कुछ काफी अजीबों-गरीब होते हैं। कुछ ऐसे खेल भी हैं जो कि लोग अपने जीवन को दांव पर लगा कर खेलते हैं। इन्हीं कुछ खेलों में एक नाम है “जल्लीकट्टू”। जो कि दक्षिण भारत का एक पारंपरिक खेल है। तमिलनाडु का ये जाना माना खेल खासतौर पर पोंगल के त्यौहार वाले दिन खेला जाता है। जल्लीकट्टू पारंपरिक होने के साथ-साथ सांस्कृतिक खेल भी माना जाता है।
तमिलनाडु में जल्लीकट्टू खेल को सिर्फ खेला ही नहीं बल्कि पूजा भी जाता है। इस खेल को करीब 2000 साल पुराना माना जाता है। पोंगल त्योहार पर इसे विशेष रूप से खेला जाता है। दरअसल खेल में एक बैल होता है और उसके आगे-पीछे खेल में शामिल लोग दौड़ते हैं। खेल के शुरुआत में बैल के की सींगों पर सिक्के या रुपए फंसाए जाते हैं और फिर जो भी व्यक्ति इन सिक्कों या रुपए को सींग से निकाल लेता है, उसे इस खेल का विजेता माना जाता है। इसके बाद व्यक्ति को पुरस्कार से नवाजा जाता है। इस खेल में सबसे जरूरी है कि बैल को कैसे नियंत्रित किया जाए, जो बैल पर काबू पा लेता है सिक्के उसके हो जाते हैं।
खास बात ये है कि जल्लीकट्टू में किसी आम बैल को नहीं लाया जाता बल्कि मंदिरों के स्पेशल बैल को शामिल किया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन बैलों को मवेशियों का मुखिया माना जाता है। ये बैल कंगयम नस्ल से आते हैं जिन्हें भयंकर और झारू नस्ल का माना जाता है। ये बाकी बैल के मुकाबले सबसे ताकतवर माने जाते हैं। इसके अलावा जल्लीकट्टू बांगुर बैल को भी शामिल किया जाता है जो कि अपनी स्पीड के लिए जाना जाता है। खेल में लोग इन बैलों तो पहले भड़काने की ट्रिक अजमाते हैं जिसके बाद गुस्से में जो बैल सबसे ज्यादा ताकतवर दिखाई पड़ता है उसे खेल में शामिल किया जाता है। इसके लिए यहां के लोग बैलों की पूंछ मोड़ना या आंखों में मिर्ची डालते हैं, कुछ जगह तो शराब का भी सेवन कराया जाता है।
वहीं हाल ही में तमिलनाडु का एक मामला सामने आया जिसमें एक बच्चे की दर्दनाक तरीके से मौत हो गई। 14 साल के इस बच्चे को बैल ने पटक-पटक कर मार डाला। कार्यक्रम का आयोजन थाडांगम गांव में किया गया था। जिसके बाद एक बार फिर ये खेल विवादों में आ गया है।
जल्लीकट्टू खेल खेलना कोई आसान बात नहीं है। सैंकड़ों लोग मौत को गले लगाकर इस खेल को खेलते हैं। खेल में जल्ली का मतलब सिक्कों से है और कट्टू यानी की बैग। जिसका मतलब है सिक्कों से भरा बैग। ये खेल एक और नाम से काफी फेमस है जिसे कहा जाता है मंजू विरट्टू मतलब बैल का पीछा करना। जल्लीकट्टू के येरुथाझुवुथल, मदु पिडिथल और पोलरुधु पिडिथल जैसे कई नाम भी हैं। हालांकि, खेल काफी पुराना जरूर है लेकिन लोग इसे अपने जीवन को दांव पर लगाकर खेलते हैं। खेल में न जाने कितने लोग हर साल अपनी जान गंवा देते हैं।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में इस खेल पर प्रतिबंध लगाया था लेकिन इसके बाद भी इस खेल को खेले जाने की बात सामने आती रही थी। इसके बाद तमिलनाडु में भी खेल को फिर से शुरू करने की मांग होने लगी और सरकार ने अध्यादेश लाकर इस खेल को फिर से शुरू करने की अनुमति दी , लेकिन इतना ही नहीं इसके बाद इस अध्यादेश को भी SC में चुनौती दी गई।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी 2021 में तमिलनाडु के मदुरै में जल्लीकट्टू खेल देखने पहुंचे थे। जिसके बाद लोगों ने सोशल मीडिया पर यूजर्स ने उनकी खूब आलोचना की थी। दरअसल 2016 में कांग्रेस के मेनिफेस्टो में जल्लीकट्टू को बैन करने की बात शामिल की गई थी। ऐसे में राहुल गांधी का खेल देखने पहुंचना उनके लिए आलोचना का विषय बन गया था। उस समय ट्विटर पर #Goback_Rahul ट्रेंड करने लगा था और तरह-तरह के मीम्स वायरल किए गए थे।
पेटा यानी की पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (People for the Ethical Treatment of Animals) के मुताबिक इस खेल से बैलों को भी काफी नुकसान होता है क्योंकि इसमें लोग बैलों के साथ छेड़छाड़ करने के साथ-साथ उनके स्वास्थ्य से भी खेलते हैं। लोग उन्हें शराब पिलाते हैं या फिर उनकी आंखों में मिर्ची डालते हैं जिससे उनकी जान को नुकसान होने का खतरा बना रहता है। अखाड़े में प्रवेश के लिए उन्हें उकसाने के लिए क्रूरता के कई अन्य तरह की चीज़ें भी की जाती हैं जो कि किसी भी जानवर के लिए ठीक नहीं है।
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