संबंधित खबरें
Jammu and Kashmir: बडगाम में खाई में गिरी BSF जवानों की बस, 4 जवान शहीद, 32 घायल
मेरठ में बड़ा हादसा, तीन मंजिला मकान गिरने से कई घायल, मलबे में दबे पशु
किस दिन होगा केजरीवाल की किस्मत का फैसला? इस घोटाले में काट रहे हैं सजा
No Horn Please: हिमचाल सरकार का बड़ा फैसला, प्रेशर हॉर्न बजाने पर वाहन उठा लेगी पुलिस
Himachal News: बेरोजगार युवाओं के लिए अच्छे दिन! जानें पूरी खबर
Rajasthan: चेतन शर्मा का इंडिया की अंडर-19 टीम में चयन, किराए के मकान में रहने के लिए नहीं थे पैसे
दिल्ली (Supreme court issue notice to Central goverment on BBC Ban): सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित ‘India: The Modi Question’ नामक बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और सोशल मीडिया पर ब्लॉक करने के सरकारी आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा। जस्टिस संजीव खन्ना और एमएम सुंदरेश की पीठ ने हालांकि इस मामले में कोई अंतरिम आदेश पारित करने से इनकार कर दिया और मामले की अगली सुनवाई ले लिए अप्रैल में आने को कहा।
याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील सीयू सिंह ने अगली सुनवाई के लिए तोड़ा पहले की तारीख मांगी लेकिन पीठ ने मना कर दिया। पीठ ने टिप्पणी की “जवाब देने की जरूरत है … जवाब। नोटिस का जवाब देने के लिए तीन हफ्ते का वक्त दिया जाता है।” कोर्ट ने यह भी कहा कि वह सरकार को सुने बिना कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं कर सकता है और अगली सुनवाई की तारीख पर सभी रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया।
बीबीसी की डाक्यूमेंट्री 2002 के दंगों और कथित रूप से उसमे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा निभाई गई भूमिका की जांच करता है। मोदी तब गुजरात के मुख्यमंत्री थे। केंद्र सरकार द्वारा इसे सोशल मीडिया और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ब्लॉक कर दिया गया है। ब्लॉक करने के बाद भी इसे देश भर के कई कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में दिखाया गया। जिसको लेकर भी खूब विवाद हुआ।
सुप्रीम कोर्ट इससे जुड़ी दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, एक अधिवक्ता एमएल शर्मा द्वारा दायर की गई थी और दूसरी तृणमूल कांग्रेस सांसद (सांसद) महुआ मोइत्रा, पत्रकार एन राम और अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा दायर की गई थी। शर्मा ने अपनी याचिका में दावा किया कि डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध मनमाना और असंवैधानिक था। प्रतिबंध हटाने की मांग के अलावा, शर्मा ने दंगों को रोकने में विफल रहने के लिए जिम्मेदार लोगों की जांच की भी मांग की।
महुआ मोइत्रा, एन राम और प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम के नियम 16 के तहत आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग करने की आवश्यकता को स्पष्ट करने के लिए सरकार ने आधिकारिक रूप से सार्वजनिक डोमेन में कोई दस्तावेज़, आदेश या कोई अन्य जानकारी नहीं रखी है। इसके अलावा सरकार या उसकी नीतियों की आलोचना और यहाँ तक कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों की आलोचना भारत की संप्रभुता और अखंडता का उल्लंघन करने के समान नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट से प्रार्थना की गई कि डॉक्यूमेंट्री को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सेंसर करने वाले सभी आदेशों को रद्द कर दिया जाए। याचिका में प्रतिवादी-प्राधिकारियों को केंद्रीकृत डेटाबेस पर सार्वजनिक डोमेन में डाले बिना भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कम करने वाले आदेशों को प्रभावी करने से रोकने के लिए न्यायालय से भी अनुरोध किया गया था।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.