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पंजाब।(BSP-Akali Dal Alliance)2024 लोकसभा चुनाव में अब केवल 14-15 महीनों का समय ही बचा है। ऐसे में बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने पंजाब में प्रकाश सिंह बादल की पार्टी शिरोमणि अकाली दल से गठबंधन का ऐलान कर दिया है। मायावती का यह एलान उनके उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में अकेले चुनाव लड़ने की बात कही थी। बसपा और अकाली गठबंधन पंजाब में लोकसभा की सभी 13 सीटों पर चुनाव लड़ेगा।
इससे पहले 1996 में दोनों का आपसी गठबंधन सफल रहा था और दोनों ने 13 में से 11 सीटों पर जीत का परचम लहराया था। उस समय बसपा 3 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और तीनों जीती थी इस बार सीटों का गणित क्या होगा वो तो भविष्य में ही पता चलेगा।
बीएसपी प्रमुख मायावती ने खुद ही बयान दिया है कि अब तक उनकी पार्टी ने जितने भी गठबंधन किए हैं उसमें से अकाली दल ही एकमात्र ऐसी पार्टी रही है जिसका वोट आसानी से चुनाव में खड़े उनके उम्मीदवारों को मिल जाता है। अगर पंजाब में बीएसपी का यह फॉर्मूला कामयाब होता है तो मायावती इसी फॉर्मूले को बाकी अन्य राज्यों के विधानसभा चुनावों में भी अपना सकती है।
सत्तारूढ़ दल आम आदमी पार्टी को हो सकता है नुकसान – पिछले साल हुए पंजाब विधानसभा चुनाव में आप पार्टी की एकतरफा जीत ने पंजाब में सारे राजनीतिक समीकरण को फेल कर दिया। अब राष्ट्रीय पार्टी बनने के बाद आप की नज़र लोकसभा चुनाव पर टिकी है। ऐसे में अगर एक बार फिर दोआबा इलाकों में जहां बीएसपी और अकाली गठबंधन मजबूत हुई तो आप की जीत की राह में बड़ा रोड़ा आ सकता है। बता दें कि 2014 में के लोकसभा चुनाव में आप पार्टी को पंजाब में 13 में से 4 सीटें मिली थी।
कांग्रेस और बीजेपी के लिए राह आसान नहीं – बीएसपी का सबसे ज्यादा वोट बैंक पंजाब के दोआबा इलाके में है। जहां पर लोकसभा की 3 सीटें आती हैं जो जालंधर, खद्दूर साहिब और होशियारपुर के रूप में है। बता दें 2019 में जालंधर और खद्दूर साहिब से कांग्रेस जबकि होशियारपुर से बीजेपी को इस सीट पर जीत मिली थी। इन सीटों पर अकाली दल 2019 में दूसरे स्थान पर थी अगर ऐसे में बीएसपी और अकाली दल का गठबंधन कामयाब साबित होता है तो इन दोनों सीटों पर कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका लग सकता है।
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