इंडिया न्यूज़ : पंजाब में इनदिनों कहां है अमृतपाल इस पर घमासान मचा हुआ है। अमृतपाल की गिरफ्तारी को लेकर पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार ने भववनत मान सरकार को खूब फटकार भी लगाई है साथ ही कोर्ट ने अमृतपाल अबतक पुलिस की गिरफ्त से कैसे बाहर है इसपर जवाबतलब भी किया है। जिसपर जवाब देते हुए पंजाब की मान सरकार ने मंगलवार को हाईकोर्ट में बताया कि अमृतपाल सिंह के खिलाफ सख्त नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) लागू किया गया है।
बता दें, ‘वारिस पंजाब दे’ के मुखिया और खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह अभी भी पुलिस की गिरफ्त बाहर है। जिसपर हाईकोर्ट ने कहा कि अमृतपाल जब देश की सुरक्षा के लिए खतरा था, तो अब तक सरकार क्या कर रही थी? वे हथियारों के साथ घूम रहे थे। इतनी ज्यादा तादात में पुलिस के बावजूद वह फरार होने में कैसे कामयाब हुआ? 80000 पुलिस क्या कर रही है, जब देश की सुरक्षा खतरे में है। इस पर सरकार की तरफ से जवाब दिया गया कि सरकार कई पहलुओं को देख कर कार्रवाई कर रही है। बता दें, कोर्ट के जवाबतलब पर पंजाब सरकार की ओर से जो कोर्ट को आश्वासन दिया गया है उसमें नेशनल सिक्योरिटी एक्ट सबसे प्रमुख है। बता दें, ये ऐसा कानून जो अमृतपाल की गले की फांस बन सकता है।
तो आइये इस रिपोर्ट में बताये क्या है नेशनल सिक्योरिटी एक्ट जो अमृतपाल के साम्राज्य को तबाह करने वाली है। वो चाहकर भी पुलिस की गिरफ्त से ज्यादा दिन तक बचकर नहीं रह सकता।
बता दें, गृह मंत्रालय के मुताबिक, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980 (NSA) एक ऐसा कानून है जिसमें यह प्रावधान किया गया है कि अगर किसी व्यक्ति से कोई खतरा समाने आता है तो उसे हिरासत में लिया जा सकता है। मालूम हो, यह भारतीय कानून किसी राज्य या सेंट्रल अथॉरिटी को किसी व्यक्ति को हिरासत में लेने का अधिकार देता है। इस कानून के अनुसार अगर यह संदेह हुआ कि कोई व्यक्ति राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डाल रहा है. सरकार NSA का उपयोग किसी को सार्वजनिक व्यवस्था को भंग करने या जरूरी आपूर्ति और सेवाओं को बाधित करने से रोकने के लिए भी कर सकती है।
डेक्कन हेराल्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस कानून के तहत अगर कोई व्यक्ति अन्य देशों के साथ भारत के संबंधों के लिए खतरा पैदा करता है, तो उसे गिरफ्तार किया जा सकता है। बता दें, ये कानून सरकार को विदेशियों को कैद करने, उनकी उपस्थिति को नियंत्रित करने या उन्हें भारत से डिपोर्ट करने का अधिकार भी देता है। मालूम हो, एनएसए 12 महीने की प्रिवेंटिव हिरासत की अवधि की अनुमति देता है, जिसे सरकार द्वारा संदिग्ध के खिलाफ नए सबूत हासिल करने पर बढ़ाया जा सकता है। इस दरम्यान बंदी पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।हिरासत में लिया गया व्यक्ति हाई कोर्ट के सलाहकार पैनल में अपील कर सकता है, लेकिन उसे मुकदमे के दौरान वकील मौजूद रखने की अनुमति नहीं मिलती है।
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