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गीता मनीषी
स्वामी ज्ञानानंद महाराज
य दि इतना कहने पर भी मन नहीं मानता, इधर उधर का चिंतन नहीं छोड़ता, नाम रूपों की ओर फिर भी जाता है तथा सूक्ष्म स्थूल रूप से उनकी कामनाएं बनी रहती हैं तो कुछ ऐसे दृष्टांत मन के सामने रखिए-जिनके पास सांसारिक रूप से किसी प्रकार की कोई कमी नहीं। धन, वैभव एवं ऐश्वर्य सब कुछ बहुत मात्रा में है लेकिन चैन नहीं, शांति नहीं, मन खोया- खोया सा रहता है। हर समय कोई ना कोई चिंता, समस्या या दुविधा मन को हैरान-परेशान किए रहती है फिर अपने मन से प्रश्न कीजिए-ऐसा क्यों? कहां है सुख शांति, मन का चैन और आराम? अब कुछ छड़ के लिए रुक जाइए। मन को सोचने का अवसर दीजिए, मन स्तब्ध हो जाएगा। कुछ भी उत्तर नहीं बन पाएगा इससे। विचारों की चोट लगाते हुए एक बार पुन: मन से यह यही प्रश्न कीजिए- ‘मनुआ बोलता क्यों नहीं? उत्तर क्यों नहीं देता? सब कुछ होते हुए भी जिनके पास मन की शांति नहीं, क्या लाभ है उन्हें इन सबका? यदि इसी में शांति होती तो वे सब अशांत क्यों है? पुन: किया गया यह प्रश्न घाव पर नमक का काम करेगा? आप देखेंगे कि अब मन अपने को कुछ लज्जित सा महसूस करने लगेगा। अभी इसे इसी दशा में छोड़ दीजिए कुछ समय तक इसे इसी प्रकार लज्जित होने दीजिए।
मन का इस प्रकार से लज्जित होना, स्तब्ध हो जाना या कुछ गंभीरता में चले जाना नि:संदेह आपको आध्यात्म पथ में बहुत सहायता पहुंचाएगा। अध्यात्मिक मंजिलें तय करने में यह आपके लिए विशेष सहायक सिद्ध होगा। परंतु इस संघर्ष को अभी यहीं संपूर्ण हुआ ना समझिए कि एक बार मन लज्जित हो गया या कोई उत्तर नहीं दे पाया तो अब यह शत-प्रतिशत अपने केंद्र में आ गया। ऐसा नहीं है। इसे यही नहीं छोड़ देना चाहिए। मन का स्तब्ध होना या शांत होना अभी स्थाई नहीं है। पुराने स्वभाव वश यह फिर कुछ समय पश्चात उसी चिंतन में लग सकता है। जब अत्यधिक सर्दी पड़ती है तो सांप भी टूट जाता है उसमें चलने-फिरने, रेंगने अथवा डसने की शक्ति नहीं रहती परंतु सावधान सांप अभी जीवित है ज्यों ही धूप लगेगी और सर्दी कुछ कम होगी यह फिर से अपने स्वभाव में आ जाएगा अभी तक मन की यही दशा है ऐसे विचारों से मन सहम तो गया है लेकिन अभी इसका ज्ञान समूल नष्ट नहीं हुआ अभी जड़े भीतर ही हैं जो फिर से पनप सकते हैं अतएव अभी मन का निरीक्षण तथा इसकी गतिविधियों का सूक्ष्म अध्ययन जारी रखना चाहिए समय-समय पर इसे इसी प्रकार और विचार देते रहें इसके साथ वार्तालाप करते रहें धैर्य और उत्साह किसी भी कीमत पर कम ना होने दें इनमें कमी आपके अध्यापक पद में समस्याएं खड़ी कर सकती हैं इसलिए इस बात का विशेष ध्यान रहे।
क्रमश:
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