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India News (इंडिया न्यूज़),Russia Ukraine war: PM नरेंद्र मोदी के विदेश नीति के 9 साल पूरे होने पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि हम बाहर जाते हैं और भारत की ओर से लोगों से मिलते हैं। हम समाज के विभिन्न क्षेत्र के लोगों से मिलते हैं। दुनिया, विशेष रूप से ग्लोबल साउथ, भारत को एक विकास के भागीदार के रूप में देखता है। बता दें इस दौरान डॉ. एस. जयशंकर ने रूस-यूक्रेन युद्ध से भारत-रूस के संबंध पर पड़े प्रभाव पर भी बात की और बताया कि भारत और रूस का रिश्ता स्थिर है क्योंकि दोनों बड़े यूरेशियन देश हैं।
रूस यूक्रेन के युद्ध का अलग-अलग देशों पर अलग प्रभाव है। अब रूस और चीन या और किसी देश पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा वह वे खुद तय करेंगे। 1955 के बाद से विश्व में बहुत कुछ हुआ लेकिन हमारा और रूस का रिश्ता स्थिर रहा है क्योंकि दोनों देश यह समझते हैं कि दोनों बड़े यूरेशियन देश है और… pic.twitter.com/2Za5ZLT0IF
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 8, 2023
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा “आज लोग भारत को सुनना चाहते हैं और उन्हें लगता है कि भारत के साथ काम करने से उनका प्रभाव भी तेज होगा। आज हम जो प्रभाव डाल रहे हैं, उससे हमारी परंपरा का उत्सव मनाया जा रहा है।” उन्होंने कहा “कोविड के दौरान बहुत से देशों ने अपने नागरिकों को उनके हाल पर छोड़ दिया था। हम कोविड के दौरान फंसे हुए कम से कम 70 लाख लोगों को वापस लाए।”
रूस-यूक्रेन युद्ध से भारत-रूस के संबंध पर पड़े प्रभाव पर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा “रूस यूक्रेन के युद्ध का अलग-अलग देशों पर अलग प्रभाव है। अब रूस और चीन या और किसी देश पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा वह वे खुद तय करेंगे। 1955 के बाद से विश्व में बहुत कुछ हुआ लेकिन हमारा और रूस का रिश्ता स्थिर रहा है क्योंकि दोनों देश यह समझते हैं कि दोनों बड़े यूरेशियन देश हैं और पूरे यूरेशिया की स्थिरता हमारे रिश्तों पर निर्भर है।”
“पिछले कुछ समय से छात्रों का यह मामला आ रहा है, जिन्हें कनाडाई कहते हैं कि वे उस कॉलेज में नहीं पढ़े, जिसमें उन्हें होना चाहिए था और जब उन्होंने वर्क परमिट के लिए आवेदन किया, तो वे मुश्किल में पड़ गए। शुरू से ही हमने इस मामले को उठाया है और हमारा कहना है कि छात्रों ने नेक नीयत से पढ़ाई की। अगर उन्हें गुमराह करने वाले लोग हैं तो दोषी पक्षों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। नेक नीयत से पढ़ाई करने वाले छात्र को सजा देना अनुचित है। मुझे लगता है कि कनाडाई भी स्वीकार करते हैं कि अगर किसी छात्र ने कोई गलती नहीं की है तो यह अनुचित होगा”
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