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India News(इंडिया न्यूज़), धर्म डेस्क, Bhagwat Gita: भगवान श्री कृष्ण के मुख से संसार के कल्याण हेतु निकला गीता का सर्वोत्तम ज्ञान मनुष्य की बुद्धि से लेकर उसके व्यक्तित्व में निखार और चरित्र में स्वच्छता प्रदान करता है। भगावन ने गीता के माध्यम से मनुष्य के मन में उत्पन्ना होने वाले उन सभी सवालों के जवाब दिए हैं , जिनके उत्तर मनुष्य अपने जीवन के किसी ना किसी पड़ाव में जरूर तलाशता है।
भगवान के द्वारा अर्जुन को दिए गए ज्ञान में श्री कृष्ण ने मनुष्य की मनोवैज्ञानिक दशा को सरलता से समझाते हुए, उसकी वृद्धि के कई तरीके बताए हैं। कई महान व्यक्ति अपने जीवन में सफता का सबसे मुख्य सुत्र गीता को ही मानते हैं। ये एक मात्र ऐसा ग्रंथ है जो मनुष्य को कर्म, ज्ञान, ध्यान और भक्ति करने का सही तरीका बताता है। आज हम गीता के कुछ खास विचार अपने सामने रखने जा रहे हैं।
गीता के अनुसार, जीवन में हमारी सफला इस बात में निर्धारित करती है कि हम अपने निर्णय कैसे लेते हैं। भगवान ने निर्णय लेने का तरीका समझाते अर्जुन को बताया कि हमें जीवन में कभी भी ज्यादा दुखी या सुखी होते वक्त निर्णय नहीं लेने चाहिए। क्योंकि दुख के दौरान मनुष्य अपने जीवन के नकारात्मक निर्णय ले लेता हैं। वहीं अत्यअधिक सुखी होने पर मनुष्य अवेश में आकर क्षमता से बहार के निर्णय ले लेता हैं।
निर्णय लेने के बारे में श्री कृष्ण ने बताया है कि क्रोध के दौरान भी कोई निर्णय लेने से बचना चाहिए। दरअसल भगवान ने क्रोध को मनुष्य का नाश करने वाला बताया है। इसके बारे में बताते हुए भगवान ने कहा है कि ये मनुष्य के अंदर बुद्धि और तर्क को खत्म कर देता है। ऐसा में मनुष्य सिर्फ धर्य बनाकर क्रोध को शांत करना चाहिए।
भगवान ने जीवन में निर्णय लेने का तरीका बताते हुए कहा है कि मनुष्य को धर्य रखते हुए मन को शांत करके, मोह और लालच को दूर करते हुए अपने निर्णय लेने चाहिए। इसके अलावा भगवान ने कहा है कि निर्णय लेने के बाद उसके सही या गलत की परवाह ना करते हुए सभी कुछ मेरे ऊपर छोड़ देना चाहिए।
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