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India News (इंडिया न्यूज़): (Pakistan-Afghanistan) तालिबान की अफगानिस्तान में जीत के बाद सबसे ज्यादा कोई खूश नजर आया था तो पाकिस्तान था। पाकिस्तान ने तालिबान की जीत पर जश्न मानाया था। लेकिन अब पाकिस्तान की सारी खूसी गम में बदलती नजर आ रही है। इसकी वजह डूरंड लाइन है। तालिबान ने 130 साल पुरानी पाकिस्तान-अफगानिस्तान बॉर्डर डूरंड लाइन की वैधता पर सवाल उठाए हैं। अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री मौलवी याकूब मुजाहिद ने कहा है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच का बॉर्डर सिर्फ ‘काल्पनिक रेखा’ है।
रक्षा मंत्री ने कहा अगर अफगान लोग चाहेंगे तब ये मामला उठाया जाएगा। अभी हम किसी के साथ नई जंग शुरू करना नहीं चाहते। 2021 में तालिबान ने पाकिस्तानी जवानों को तारबंदी करने से रोक दिया था।
बता दे अफगानिस्तान पाकिस्तानी हिस्से वाले पश्तून एरीया पर संप्रभुता का दावा करता है। जिसमें पूर्व संघीय प्रशासित जनजातीय क्षेत्र और उत्तर पश्चिम सीमांत प्रांत के हिस्से शामिल हैं। अफगानिस्तान के साथ 2,640 किमी. लंबी सीमा पर बाड़ या घेराव का काम मार्च 2017 में शुरू हुआ था, जब एक के बाद एक सीमा पार से कई हमले हुए थे।
डूरंड रेखा को 1893 में हिंदूकुश क्षेत्र में स्थापित किया गया था। यह अफगानिस्तान और ब्रिटिश भारत के बीच आदिवासी भूमिसे होकर गुज़रती थी। आधुनिक समय में इसने अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच की सीमा को चिह्नित किया है। डूरंड रेखा रूसी और ब्रिटिश साम्राज्यों के बीच 19वीं शताब्दी के ग्रेट गेम्स की एक विरासत है, जिसमें अफगानिस्तान को भयभीत अंग्रेज़ों द्वारा पूर्व में रूसी विस्तारवाद के खिलाफ एक बफर ज़ोन के रूप में इस्तेमाल किया गया था। वर्ष 1893 में ब्रिटिश सिविल सेवक सर हेनरी मोर्टिमर डूरंडऔर उस समय के अफगान शासक अमीर अब्दुर रहमान के बीच डूरंड रेखा के रूप में एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे।
1947 में आजाद होने के बाद से पाकिस्तान इसे अपनी सीमा बताता है। 9/11 आतंकी हमले के बाद आम लोगों के डूरंड रेखा के पार आने-जाने पर रोक लगा दी गई है। जिससे पश्तून लोग परेशान हैं। पाकिस्तान सुरक्षा और तस्करी रोकने का हवाला देते हुए 2,640 किमी लंबी डूरंड लाइन पर तारबंदी कर रहा है। जिसे लेकर अफगानिस्तान नाराज है।
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