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Health Tips : शरीर में किसी भी समय बेड कोलेस्ट्रॉल के लेवल का बढ़ना दिल की सेहत के लिए ठीक नहीं होता है। लेकिन एक ताजा रिसर्च के मुताबिक प्रेग्नेंट महिलाओं के केस में इसके दूरगामी और गंभीर असर होते हैं। रिसर्च में पता चला है कि यदि प्रेग्नेंट महिलाओं में बेड कोलेस्ट्रॉल का लेवल बढ़ा हुआ हो तो उनके बच्चों में बड़े होने पर सीरियस हार्ट अटैक का रिस्क ज्यादा है। यह रिसर्च ईएससी यूरोपियन सोसायटी ऑफ कार्डियोलॉजी की पत्रिका यूरोपियन जर्नल ऑफ कार्डियोलॉजी में प्रकाशित हुई है। (Health Tips)
रिसर्च के राइटर और यूनिवर्सिटी ऑफ नेपल्स फेडेरिको-II इटली के डॉ. फ्रांसेस्को कैसियाटोर का कहना है कि अधिकांश देशों में आमतौर पर प्रेग्नेंट महिलाओं के कोलेस्ट्रॉल की जांच नहीं की जाती है, इसलिए उनके बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर को लेकर कोई बहुत ज्यादा स्टडी नहीं हुई है। उन्होंने आगे बताया कि इसलिए जरूरी है कि इस ताजा रिसर्च के निष्कर्षों की पूरी पुष्टि की जाए। ताकि गर्भवतियों के हाई कोलेस्ट्रॉल को एक चेतावनी वाला संकेतक मानकर उसका लेवल कम करने के लिए महिलाओं को एक्सरसाइज और लो कोलेस्ट्रॉल वाली डाइट लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। इसके साथ ही उनके बच्चों को भी हार्ट डिजीज से बचाव के लिए बचपन से ही उसके खान-पान और सही लाइफस्टाइल को लेकर गाइड किया जा सके।
स्टडी में रोगियों को गंभीर हार्ट अटैक और सामान्य हार्ट अटैक वाले दो वर्गो में बांटा गया। गंभीर हार्ट अटैक में पहला ग्रुप उन लोगों का था, जिनके हार्ट अटैक में तीन धमनियां शामिल थीं। दूसरा ग्रुप उन लोगों का था, जिनके हार्ट का पंप फंक्शन यानी लेफ्ट वेंटिकल इजेक्शन फ्रैक्शन 35 प्रतिशत या उससे कम था। तीसरे ग्रुप के लोगों में सीए यानी क्रिएटिनिन काइनेज और सीके-एमबी एंजाइम का लेवल काफी अधिक था। गंभीर हार्ट अटैक में सीके-पीक का लेवल 1200 एमजी/ डीएल या सीके-एमबी पीक 200 एमजी/ डीएल होता है। जब इन तीनों में से कम से कम एक स्थिति हो तो हार्ट अटैक को गंभीर माना जाता है। पाया गया कि प्रेग्नेंसी के दौरान कोलेस्ट्रॉल का लेवल इन सभी मानकों से जुड़े थे।
इस स्टडी में हार्ट अटैक के अन्य कारकों जैसे कि उम्र, लिंग, बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआइ), स्मोकिंग, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट रोगों की पारिवारिक पृष्ठभूमि, डायबिटीज तथा हार्ट अटैक के कारण अस्पताल में भर्ती होने के बाद सीरम कोलेस्ट्रॉल पर भी विचार किया गया। लेकिन पाया गया कि इन सभी अन्य कारकों से इतर प्रेग्नेंसी के दौरान मां के कोलेस्ट्रॉल का असर रोगियों के गंभीर हार्ट अटैक में ज्यादा था। एक अन्य विश्लेषण में रिसर्चर्स ने पाया कि इन सभी 310 रोगियों में उनकी माताओं के प्रेग्नेंसी के दौरान कोलेस्ट्रॉल के लेवल संबंध बच्चों के वयस्क होने पर उनमें धमनियों की दीवारों पर फैट जमा होना यानी ऐथिरोस्क्लेरोसिस से था। इससे भी हार्ट अटैक होने का खतरा बढ़ता है।
डॉक्टर कैसियाटोर ने कहा कि हमारा अवलोकन यह बताता है कि प्रेग्नेंसी के समय कोलेस्ट्रॉल का स्तर ज्यादा होने का असर बच्चों के विकास और वयस्क होने पर हार्ट अटैक की गंभीरता से जुड़ा हुआ है। लेकिन अभी इसका आकलन नहीं किया जा सका है कि प्रेगनेंसी के दौरान कोलेस्ट्रॉल का कितना लेवल बच्चों में बाद में (वयस्क होने पर) हार्ट अटैक की गंभीरता को बढ़ाता है। इसके लिए और भी स्टडी की जाने की जरूरत है।
इस स्टडी में 1991 से लेकर 2019 तक अस्पताल में भर्ती हुए 310 रोगियों को शामिल किया गया। इनमें से 89 को हार्ट अटैक हुआ था, जबकि 221 कंट्रोल ग्रुप के लोग अन्य कारणों से अस्पताल में भर्ती हुए थे। इन सभी 310 प्रतिभागियों की मां के कोलेस्ट्रॉल का स्तर का डेटा जुटाया गया, जब वे गर्भवती थीं। हार्ट अटैक से पीड़ित 89 रोगियों की औसत उम्र 47 साल थी और उनमें से 84 प्रतिशत पुरुष थे।
Disclaimer: लेख में उल्लिखित सुझाव केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी फिटनेस व्यवस्था या चिकित्सकीय सलाह शुरू करने से पहले कृपया डॉक्टर से सलाह लें।
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