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India News,(इंडिया न्यूज), Stapled Visas,अरुणाचल प्रदेश: भारत और चीन के रिश्ते सुधरने के बजाय हर दिन के साथ खराब होते जा रहे हैं. ड्रैगन आए दिन अपनी हरकतों से भारत को ललकारता रहता है. चीन को देख कर लगता है कि वो अपनी आदतों से बाज नहीं आने वाला. इसके साथ भारत भी मुहतोड़ जवाब चीन को देने के लिए तैयार है. खबरों की माने तो एक बार फिर लगता है दोनों देशों के बीच की खाई और बढ़ गई है. जानते हैं क्या है वजह.
.क्या होता हो Stapled Visa?
.भारत है इसके खिलाफ
.नहीं बाज आ रहा चीन
दरअसल, 28 जुलाई से शुरू होने वाले वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स के लिए चीन ने तीन भारतीय वुशु खिलाड़ियों को स्टेपल्ड वीजा यानी नत्थी वीजा जारी किया. चीन का ये कदम भारत को रास नहीं आया और इस पर अपनी कड़ी आपत्ति जताई है. इसके खिलाफ आवाज उठाते हुए भारत सरकार ने तीनों खिलाड़ियों को एयरपोर्ट से वापस बुला लिया है.
भारत ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा है कि चीन का यह कदम हमें स्वीकार्य नहीं है. रिपोर्ट्स की मानें तो, भारत की 11 सदस्यों वाली वुशु टीम वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स के लिए चीन जाने वाली थी. इनमें से तीन खिलाड़ी अरुणाचल प्रदेश से थे. खिलाड़ियों को वहां जाने के लिए चीन ने उन्हें स्टेपल्ड वीजा जारी किया. भारत को यह रास नहीं आया और चीन के इस कदम का जबरदस्त विरोध किया. ऐसे में सवाल ये उठता है कि ऐसा क्या है इस वीजा में जिसके माध्यम से ड्रैगन ने भारत को उकसाने की कोशिश की है. जिसके कारण ही खिलाड़ियों को वापस आना पड़ा, चलिए जानते हैं.
नियमों के अनुसार एक देश से दूसरे देश में जाने के लिए हमें वीजा की जरुरत पड़ती है. यहां आपको यह जान लेना चाहिए की आपके यात्रा के मकसद के अनुसार वीजा का स्वरूप बदल जाता है, जैसे- बिजनेस वीजा, पार्टनर वीजा, ऑन अराइवल वीजा. वीजा को लेकर हर देश के अपने नियम हैं.
आपको बता दें कि चीन में इसी तरह का एक वीजा जारी किया जाता है. जिसे नत्थी यानी स्टेपल्ड वीजा कहा जाता है.
इस वीजा में यात्री के पासपोर्ट पर इमिग्रेशन ऑफिसर कोई स्टाम्प नहीं लगाता. इसे एक पर्ची के रूप में पासपोर्ट में स्टेपल यानी नत्थी कर दिया जाता है.
इस पर्ची में यह साफतौर पर लिखा होता है कि यात्री चीन में क्यों जा रहा है. उसका मकसद क्या है. इसलिए इसे नत्थी वीजा कहते हैं. आपको बता दें कि पासपोर्ट में अलग से पर्ची को जोड़ने के लिए स्टेपलर का इस्तेमाल किया जाता है, इसके कारण ही इसका नाम स्टेपल्ड वीजा पड़ा.
अकेला एक चीन ही एक ऐसा देश नहीं जहां इस तरह का वीजा दिया जाता है. इसके अलावा क्यूबा, ईरान और उत्तर कोरिया समेत कई ऐसे देश हैं जो नत्थी वीजा देता है. खबरों के अनुसार पहले ये देश चीन और वियतनाम को भी ऐसा ही वीजा जारी करता था. बाद में उनके बीच समझौता किया गया. उसके बाद चीन की ओर से छूट दी गई. अब चीन का यह कदम भारत को नागवार गुजरा है.
ऐसे में भारत का ये कदम उठाना सही माना जा रहा है. क्योंकि इसके पीछे चीन की चाल साफ दिख रही है. कोई नई बात नहीं है चीन की ये आदत बहुत पुरानी है. दरअसल, तिब्बत पर चीन का अधिकार है और वो हमारे देश के अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का हिस्सा मानता है.
चीन के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश पर भी उसका अधिकार है और वहां के लोगों को अपने देश आने के लिए वीजा की जरूरत नहीं. फिर क्या यही है फसाद की जड़. इसी मंशा के साथ चीन ने अरुणाचल प्रदेश के खिलाड़ियों के लिए स्टेपल्ड वीजा जारी किया गया.
भारत ने चीन को पहले ही ये क्लियर कर दिया है उसके देश पर जो नजर डालेगा वो उसे नहीं बख्शेगा. इसलिए चीन का ये कदम उसे बिल्कुल मंजूर नहीं. हालांकि साल 2014 की बात है जब भारत में तत्कालीन चीनी विदेश मंत्री वांग यी आए थे. उन्होने कहा था कि चीन की ओर से स्टेपल्ड वीजा जारी करने का मतलब है कि हम सीमाई मुद्दों से किसी तरह का कोई समझौता नहीं कर रहे हैं.
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