India News (इंडिया न्यूज़), Gujarat, गांधीनगर: शेर को गुजरात की पहचान और राज्य का गहना माना जाता है. 10 अगस्त को पूरी दुनिया में शेर दिवस के रूप में मनाया जाता है. गुजरात सरकार के वन विभाग के प्रभावी संरक्षण और प्रजनन प्रयासों के कारण शेरों की आबादी भी बढ़ रही है. फिर 2020 की जनगणना के अनुसार, राज्य में शेरों की आबादी 674 है. महत्वपूर्ण बात यह है कि इस गणना में शेरनी की आबादी जंगल के राजा से अधिक पाई गई.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी विश्व शेर दिवस को लेकर ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने लिखा है की, विश्व शेर दिवस उन राजसी शेरों का जश्न मनाने का एक अवसर है जो अपनी ताकत और भव्यता से हमारे दिलों को मोहित कर लेते हैं। भारत को एशियाई शेरों का घर होने पर गर्व है और पिछले कुछ वर्षों में भारत (Gujarat) में शेरों की आबादी में लगातार वृद्धि हुई है। मैं शेरों के आवास की रक्षा की दिशा में काम करने वाले सभी लोगों की सराहना करता हूं। हम उन्हें संजोना और उनकी रक्षा करना जारी रखें, यह सुनिश्चित करते हुए कि वे आने वाली पीढ़ियों के लिए फलते-फूलते रहें।
शेर कभी मध्य, उत्तरी और पश्चिमी भारत के जंगलों में घूमते थे। हालाँकि, आज एशियाई शेर (पैंथेरा लियो लियो) केवल गिर के जंगलों और गुजरात के सौराष्ट्र प्रायद्वीप (Gujarat) क्षेत्र में गिर के जंगलों के आसपास के 30000 वर्ग किलोमीटर के विस्तृत मैदानों में पाया जाता है। उस क्षेत्र का छह प्रतिशत से भी कम – 1883 वर्ग किमी – उनका अंतिम सुरक्षित ठिकाना है। यह तथ्य वन्यजीव जीवविज्ञानियों और (पर्यावरण) संरक्षणवादियों के लिए बहुत चिंता का विषय है।
यहां दर्ज 674 एशियाई शेरों को दुनिया की अग्रणी (Gujarat) संरक्षण एजेंसी IUCN द्वारा लुप्तप्राय प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। और वन्यजीव शोधकर्ता डॉ. फ़ैयाज़ ए. खुदसर एक गंभीर खतरे की ओर इशारा कर रहे हैं। वे कहते हैं, “संरक्षण जीवविज्ञान स्पष्ट रूप से सुझाव देता है कि यदि एक छोटी आबादी (किसी प्रजाति की) एक ही स्थान तक सीमित है, तो उसे (प्रजाति) विलुप्त होने के विभिन्न खतरों का सामना करना पड़ता है।”
5-6 जून, 2020 को गिर जंगल की पूर्णिमा (Gujarat) अवलोकन रिपोर्ट के अनुसार, गिर में वयस्क शेरों की संख्या 161 है, जबकी शेरनियों की संख्या 260 है. जबकि उप-वयस्क शेर 45 है और उप-वयस्क शेरनी 49 है. वहीं 22 की जाति का पता नहीं चल सका. यहां 137 शेर के बच्चे हैं. इस प्रकार, यह ज्ञात है कि शेरों की आबादी 674 है. उल्लेखनीय है कि गिर में वयस्क शेर-शेर जनसंख्या अनुपात 1:1.61 देखा गया है.
शेरों की गिनती में कुल 294 स्थानों पर 674 शेरों की आबादी देखी गई है. जिसमें 52.04 फीसदी शेर वन क्षेत्र में पाए गए हैं. जबकि 47.96 प्रतिशत बाहरी वन क्षेत्र में दिखाई दिया. जिसमें 26.19 प्रतिशत शेर बंजर भूमि हैं, 13.27 प्रतिशत शेर कृषि क्षेत्र हैं और 3.74 प्रतिशत शेर नदी के किनारे के क्षेत्र हैं और 2.04 प्रतिशत शेर कृषि बागान हैं, 2.04 प्रतिशत शेर मानव आबादी के पास हैं जबकि 0.68 प्रतिशत शेर औद्योगिक क्षेत्रों के पास हैं.
वर्ष 2015 में शेरों की आबादी 523 दर्ज की गई, जो पिछले वर्षों की तुलना में 27 प्रतिशत अधिक थी. लेकिन साल 2020 में शेरों की आबादी बढ़कर 674 हो गई है. जो कि पिछले वर्ष की तुलना में हाल के समय में सर्वाधिक 28.87 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है. वर्ष 2015 में सौराष्ट्र के सात जिलों में 22 हजार किलोमीटर क्षेत्र में शेर देखे गए थे, जबकि वर्ष 2020 में सौराष्ट्र के नौ जिलों में 30 हजार किलोमीटर क्षेत्र में शेर देखे गए. इसमें जूनागढ़, गिर सोमनाथ, अमरेली, भावनगर, बोटाद, पोरबंदर, जामनगर, राजकोट, सुरेंद्रनगर के 53 तालुके शामिल हैं.
World Lion Day is an occasion to celebrate the majestic lions that captivate our hearts with their strength and magnificence. India is proud to be home to the Asiatic Lions and over the last few years there has been a steady rise in the lion population in India. I laud all those… pic.twitter.com/ohWcPP2Ofe
— Narendra Modi (@narendramodi) August 10, 2023
ऐसे में सिंह परिदृश्य में 2015 की तुलना में 2020 में 36 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है. यदि एक दशक की अवधि में देखा जाए तो 2010 के पिछले दशक की तुलना में 2020 के आखिरी दशक में शेरों की आबादी में 64 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. 2010 में 20 हजार वर्ग किलोमीटर में 411 शेर थे, 2020 में 30 हजार वर्ग किलोमीटर में 674 शेर थे.
पूर्णिमा ऑब्जर्वेशन-2020 के अनुसार, कुल नौ उपग्रह क्षेत्रों में शेरों की आबादी देखी गई है. जिसमें सबसे ज्यादा 334 शेरों की आबादी गिर नेशनल पार्क और अभयारण्य और आसपास के इलाकों में देखी गई है. पाणिया वन्यजीव अभयारण्य में 10 शेरों की आबादी, मितियाला अभयारण्य में 16, गिरनार अभयारण्य में 56, दक्षिण-पश्चिमी तट (सुत्रापाड़ा, कोडिनार, ऊना, वेरावल) क्षेत्र में 20, दक्षिण-पूर्वी तट (राजुला, जाफराबाद, नागेश्री) में 67, सावरकुंडला-लिलिया और अमरेली के आसपास के ईलाकों में 98 शेरों की आबादी देखी गई है, जब की भावनगर मुख्य भूमि में 56 और भावनगर तट पर 17 शेर देखें गए है.
1993-95 के आसपास एक पुनर्वास योजना तैयार की गई थी। योजना के तहत कुछ शेरों को गिर से 1000 किमी दूर कूनो ले जाया जाना था. भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) का कहना है की, नौ संभावित स्थानों की सूची में से कुनो को योजना के लिए सबसे उपयुक्त पाया गया था. WII पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) और राज्य वन्यजीव विभागों की तकनीकी शाखा है. संगठन ने सरिस्का और पन्ना में, बांधवगढ़ में गौर और सतपुड़ा में बारासिंघा में बाघों के पुनर्वास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
संरक्षण वैज्ञानिक डॉ. रवि चेल्लम ने उस समय कहा था, “कूनो का कुल आकार [लगभग 6800 वर्ग किमी का सन्निहित निवास स्थान], वहां मानव अशांति का अपेक्षाकृत कम स्तर, इसके माध्यम से कोई राजमार्ग नहीं चलना, ये सभी कारण इसे (शेर स्थानांतरण के लिए) आदर्श स्थान बताया. “उन्होंने चार दशकों से इन शक्तिशाली स्तनधारियों – शेरों – की गतिविधियों पर नज़र रखी है। मगर गुजरात के संरक्षणवादियों और गुजरात सरकार की पहल पर शेरों को गुजरात से मध्यप्रदेश शिफ्ट नहीं कीया गया, जो गुजरात के लिए गर्व की बात मानी जा रही है.
(लेखक अभिजीत भट्ट, इंडिया न्यूज़ गुजरात के संपादक है)
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