सूर्य की कृपा से मिलेगा सदा सुहागन का वरदान
कैथल, नरेश भारद्वाज
Karwa Chauth 2021 : इस बार रोहिणी नक्षत्र में मनेगा करवा चौथ। ऐसा संयोग करवा चौथ पर 5 साल बाद हो रहा है। इस बार करवे का चांद रोहिणी नक्षत्र में निकलेगा। इससे पहले 2015 में रोहिणी नक्षत्र में करवा चौथ मनाया गया था। इस दिन दूसरा संयोग रविवार का दिन है। हिंदू धर्म में रविवार का दिन भगवान सूर्य को समर्पित होता है। रविवार के दिन व्रत रखने से सूर्यदेव अति प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं। चूंकि रविवार के दिन करवा चौथ का व्रत रखा जायेगा। इससे व्रती को भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त होगी। धार्मिक मान्यता है कि सूर्य की कृपा से भक्त को दीर्घायु की प्रति होती है और वह आरोग्यता को प्राप्त करता है। करवा चौथ व्रत भी दीर्घायु के लिए रखा जाता है। ऐसे में रविवार के दिन करवा चौथ व्रत का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार करवा चौथ पर रोहिणी नक्षत्र में चांद निकलेगा और पूजन होगा। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि इस साल 24 अक्टूबर 2021, रविवार सुबह 3 बजकर 1 मिनट पर शुरू होगी, जो अगले दिन 25 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 43 मिनट तक रहेगी। इस दिन चांद निकलने का समय 8 बजकर 11 मिनट पर है। पूजन के लिए शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर 2021 को शाम 06:55 से लेकर 08:51 तक रहेगा।
वे महिलाए जो किसी सरकारी/प्राइवेट या अन्य संस्था में कार्यरत हैं, अर्थात नौकरी करती हैं। उन महिलाओ को पूर्ण विधि-विधान से व्रत करने में काफी समस्या का सामना करना पड़ता है। ऐसे में आप इन करवा चौथ का व्रत के नियमो का पालन कर पूर्ण विधि-विधान से व्रत कर फल प्राप्त कर सकती है।
जो महिलाएं वर्किंग हैं, वो एक साफ़ बोटल में सास के दिए हुए करवे का पानी ऑफ़िस में ले जाएं । ध्यान रखें सास का दिया हुआ करवा एकदम खाली न करें यानी उसमें थोड़ा पानी रहने दें । साथ ही अनाज वाले करवे में से थोड़ा-सा साबूत अनाज और सास के बायने के शगुन का पैसा ले जाएं।
1. करवा चौथ के दिन देर तक न सोएं क्योंकि व्रत की शुरुआत सूर्योदय के साथ ही हो जाती है।
2. पूजा-पाठ में भूरे और काले रंग को शुभ नहीं माना जाता है। हो सके तो इस दिन लाल रंग के कपड़े ही पहनें क्योंकि लाल रंग प्यार का प्रतीक माना जाता है।
3. इस दिन महिलाओं को घर के किसी भी सोते हुए सदस्य के उठाना नहीं चाहिए। हिंदू शास्त्रों के अनुसार करवा चौथ के दिन किसी सोते हुए व्यक्ति को नींद से उठाना अशुभ होता है।
4. सास की दी गई सरगी करवाचौथ पर शुभ मानी जाती है। व्रत शुरू होने से पहले सास अपनी बहू को कुछ मिठाइयां, कपड़े और श्रृंगार का सामान देती है। सरगी का भोजन करें और भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें।
5. व्रत करने वाली महिलाओं को अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए। महिलाओं को घर में किसी बड़े का अपमान नहीं करना चाहिए।
6. शास्त्रों में कहा गया है कि करवा चौथ व्रत के दिन महिलाओं को पति से झगड़ा नहीं करना चाहिए। झगड़ा करने से आपको व्रत का फल नहीं मिलेगा।
7. करवाचौथ के व्रत के दिन सफेद चीजों का दान करने से बचें। जैसे सफेद कपड़े, दूध, चावल, दही और सफेद मिठाई दान न करें।
8. आज के दिन नुकीली चीजों के इस्तेमाल से बचें. सुई-धागे का काम न करें। कढ़ाई, सिलाई या बटन टाकने का आज के दिन न करें तो अच्छा है।
करवा चौथ के दिन राशि के अनुसार वस्त्र पहनने से वैवाहिक जीवन खुशहाल रहता है।
राशि के अनुसार कपड़े पहनना होगा शुभ
1. मेष राशि की महिलाएं करवा चौथ के दिन गोल्डन रंग की साड़ी, लहंगा या सूटकर पूजा करें।
2. वृषभ राशि की महिलाओं का सिल्वर रंग के वस्त्र धारण करना शुभ रहेगा।
3. करवा चौथ के दिन मिथुन राशि की महिलाएं हरे रंग के वस्त्र धारण करें।
4. कर्क राशि के लिए करवा चौथ के दिन शुभ रंग लाल है।
5. सिंह राशि वालों के लिए लाल, ऑरेंज या गोल्डन रंग के वस्त्र शुभ माने जाते हैं।
6. करवा चौथ के दिन कन्या राशि की महिलाएं लाल, हरी या गोल्डन रंग की साड़ी पहनें।
7. तुला राशि की महिलाएं लाल, गोल्डन या सिल्वर रंग के वस्त्र धारण करें।
8. वृश्चिक राशि की महिलाओं के लिए लाल रंग सबसे उत्तम माना जाता है। इस दिन आप महरून या गोल्डन रंग के कपड़े पहनकर पूजा कर सकती हैं।
9. धनु राशि की महिलाओं को आसमानी या पीले रंग के वस्त्र धारण करने की सलाह दी जाती है।
10. मकर राशि वालों के लिए नीला रंग शुभ माना जाता है।
11. कुंभ राशि की महिलाएं नीले रंग या सिल्वर कलर के वस्त्र धारण कर सकती हैं।
12. मीन राशि की महिलाएं पीले या गोल्डन कलर के कपड़े पहनकर पूजा करें। मान्यता है कि ऐसा करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
पौराणिक कथा के अनुसार, इंद्रप्रस्थपुर में एक ब्राह्मण रहता था, उसके साथ पुत्र और एक वीरावती नाम की पुत्री थी। इकलौती पुत्री होने के कारण वे सभी की लाडली थी। ब्राह्मण ने अपनी बेटी का विवाह एक ब्राह्मण युवक से कर दिया था। शादी के बाद वीरावती पहली करवाचौथ पर मायके आई हुई थी। उसने पति की लंबी उम्र के लिए मायके में ही व्रत रख लिया। वीरावती भूख-प्यास बर्दाश्त नहीं कर सकी और मूर्छित होकर गिर गई।
भाइयों से बहन की ऐसी हालत देखी नहीं गई। बहन की हालत देख भाइयों ने उसका व्रत खुलवाने की सोची। उन्होंने एक दीपक जलाकर पेड़ के पीछे छलनी में रख दिया और बहन को बोला की चांद निकल आया है। वीरावती ने छत पर जाकर चंद्र दर्शन किए और पूजा पाठ करने के बाद नीचे आकर खाना खाने बैठ गई। वीरावती के भोजन शुरू करते ही पहले कौर में बाल आया, दूसरे में छींक आ गई और तीसरे कौर में उसे अपने ससुराल से निमंत्रण आ गया।
ससुराल का निमंत्रण पाते ही वीरावती भागी-भागी वहां पहुंची। वहां जाते ही उसने देखा कि उसका पति मृत है। पति को इस हालत में देख वो व्याकुल होकर रोने लगी। वीरावती की ऐसी हालत देखर इंद्र देवता की पत्नी देवी इंद्राणी उसे सांत्वना देने वहां पहुंच गई और उसे उसकी भूल का अहसास दिलाया। इतना ही नहीं, उन्होंने वीरवती को करवाचौथ के साथ-साथ पूरे साल आने वाली चौथ के व्रत रखने की सलाह दीद्ध वीरवती ने ऐसा ही किया और व्रत के पुण्य से उसकी पति को फिर से जीवनदान मिल गया।
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