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India News (इंडिया न्यूज़), Vishnu Avatars, दिल्ली: जब जब धरती पर अधर्म के काले बादल छाए, भगवान विष्णु ने तब तब जन्म लिया। अभी तक भगवान विष्णु जी नौ अवतार ले चुके हैं, लेकिन माना जाता है की कलयुग के अंत में जब अधर्म अपनी सीमा पार कर देगा तब भगवान विष्णु का दसवा अवतार होगा। इससे पहले भगवान विष्णु आठ अवतार ले चुके हैं और वह परमावतार माने गए। इसका मतलब है की इनमे सारे ही गन शामिल थे। पवित्र श्रीमद भागवत में श्री कृष्णा ने कहा है की धरती पर जब जब अधर्म बढ़ेगा, तब तब भगवान अधर्म का नाश करने क लिए जन्म लेंगे। इसके साथ साथ विष्णु पुराण में भगवान के दस परम अवतार बताये गए हैं। तो दोस्तों आज आपको बताएंगे विष्णु जी के सभी दस अवतारों से जुडी कुछ ख़ास बातें।
धरती पर जब हयग्रीव नाम के असुर का आतंक बढ़ गया था तब पूरी पृथ्वी जलमग्न हो गयी थी। लोगो का उद्धार करने के लिए भगवान विष्णु ने अपना पहला अवतार मत्स्य के रूप में लिया था। इस रूप को धारण करके भगवान ने हयग्रीव का वध करके पृथ्वी को जल से निकला था।
पूर्वकाल में देवता और दानवों ने जब समुद्र मंथन किया था तब भगवान विष्णु ने कूर्म मतलब कछुए का अवतार लिया था। इस रूप को लेकर भगवान ने मंदार पर्वत पर कूर्म अवतार लेकर कवच धारण कर लिया था । इसके बाद, देवताओं और असुरों ने समुन्द्र को माथा था।
हिरण्याक्ष नाम के एक असुर ने एक बार पृथ्वी को समुन्द्र में छिपा दिया। तब पृथ्वी की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु ने भगवान वराह का अवतार लेकर , दुष्ट हिरण्याक्ष का वध कर दिया और पृथ्वी की रक्षा कीऔर पृथ्वी को बाहर निकला।
हिरण्यकश्यप ने जब अपने ही पुत्र को विष्णु जी की भक्ति करते हुए देखा तब , उसने ठान लिया की वो अपने पुत्र को जान से ,मार देगा। अपने भक्त पर आयी हुई संकट को देख भगवान विष्णु ने नरसिंह रूप धारण कर प्रह्लाद की रक्षा की।
असुरों के राजा बलि का आतंक और घमंड अपनी चरम सीमा पर थ। तब उसके गुर्रर और घमंड को धराशायी करने के लिए भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था। अपनी घमंड में चूर होकर राजा बलि ने भगवान वामन को कहा वो उसे तीन पग ज़मीन देगा। उसका घमंड चूर चूर करने के लिए, भगवान विष्णु ने वामन अवतार में मात्र दो पग में ही पूरी धरती और पूरा स्वर्ग नाप लिया था। तब राजा बलि नतमस्तक हो गया और पातळ लोक चला गया।
त्रेता युग में भगवान परशुराम ब्राह्मण के घर जन्मे थे। साथ ही इन्हें भगवान विष्णु का छठा अवतार मन गया है। तब परषुराम ने राजा सहस्त्रार्जुन का वध किया था।
त्रेता युग में भगवान विष्णु ने श्री राम का रूप लेकर डस्ट और पापी रावण का वध किया था। उसके आतंक से तीनो लोक परेशां थे। उसका सर्वांश होते ही तीनो लोक इससे मुक्त होगये।
द्वापर युग में कंस और दुर्योधन जैसे अधर्मियों के अंत के लिए भगवान विष्णु ने परमावतार लिया था। श्री कृष्णा का रूप धारण करके भगवान ने कंस का वध किया था। साथ ही साथ भगवान ने पांडवों से दुर्योधन के कौरव वंश का अंत करवाया और धर्म की स्थापना की थी।
भगवान बुद्ध को विष्णुजी का नौवां अवतार माना गया है। गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना कर समाज को हिंसा से मुक्ति दिलाई थी।
पुराणों के अनुसार भगवान विष्णु का दसवां अवतार कल्कि का होगा। कलियुग के अंत में भगवान फिर जन्म लेंगे और अधर्म और पाप क आंत करेंगे।
तो ये हैं भगवान विष्णु के दस अवतार और साथ ही उनकी विशेषताएं।
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