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India News (इंडिया न्यूज़), India vs Bharat: देश के नाम में ‘इंडिया’ के बजाय ‘भारत’ लिखने की शुरुआत हो चुकी है। पहले G20 के निमंत्रण पर “भारत के राष्ट्रपति” लिखा गया और बाद में प्रधानमंत्री मोदी के इंडोनेशिया दौरे के प्लान में “भारत के प्रधानमंत्री” का जिक्र किया। इसका जिक्र देश के संविधान में भी है तो सवाल यह है कि संविधान सभा ने देश के नाम के बारे में क्या कहा? आख़िर संवैधानिक सम्मेलन में नाम को लेकर पूरी बहस क्या थी? भारत या इंडिया, सदस्य किस तरफ हैं? तो इंडिया नाम कैसे बना?
संविधान के अनुच्छेद 1 में कहा गया है कि भारत, अर्थात् भारत, राज्यों का एक संघ होगा। हालाँकि, प्रारंभिक मसौदे (Contract) में “इंडिया” नाम का उल्लेख नहीं किया गया था। दरअसल, 4 नवंबर 1948 को संविधान का एक मसौदा (Contract) संविधान सभा को प्रस्तुत किया गया था। इसका मसौदा डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता वाली एक समिति ने तैयार किया था। लगभग एक साल बाद, 17 सितंबर, 1949 को, अम्बेडकर ने पहले पैराग्राफ में “भारत” नाम बदलने का प्रस्ताव करते हुए एक प्रस्ताव दायर किया।
18 सितंबर, 1949 को हुई चर्चा के दौरान, स्वतंत्र राज्य को एक के बजाय दो नाम देने के प्रस्ताव पर सदस्य व्यापक रूप से विभाजित थे। मूल शर्तों पर संवैधानिक सम्मेलन में “इंडिया” और “भारत” के बीच संबंधों पर बहुत चर्चा की गई थी। आयुक्तों ने कई संशोधनों का प्रस्ताव रखा, जिनमें से किसी को भी नहीं अपनाया गया। अंबेडकर के बाद, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ग्रुप के नेता एचवी कामथ ने पहले संशोधन का प्रस्ताव रखा, जिसमें पहले उपधारा के भाग को अंग्रेजी में इंडिया या इंडिया से बदलने का प्रस्ताव रखा गया। एचवी कामथ ने अपने प्रस्ताव के लिए आयरिश संविधान से प्रेरणा ली।
संविधान सभा ने संपादकीय आयोग के अध्यक्ष बी.आर. अम्बेडकर द्वारा पेश किए गए संशोधनों को छोड़कर, मसौदा लेख में सभी संशोधनों को खारिज कर दिया। वहीं, अनुच्छेद 1 के प्रावधान ‘इंडिया दैट इज भारत’ को 18 सितंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था।
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